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________________ रायपसेको। सिपरिसाए अवरज्जद सेण नाइ अगिट्ठादि जावनाइ अमणमाहि वगूहि उवालभति एवं चताव पदेसी तुम्ह जाणासि तहाविगातु मम वामेण द डेण पडिकूलेण पडिलामेण विवच्चास विवच्चामग्ण वसि ततेण पदेसी केसी कुमार समण ण्व वयामी एव खलू अह देवागुप्पिएहि पु मल्लूएणचेव वागरणेण मेल? वतेण मम इमे याहवे अन्मतिथए जाव सकप्पे समुप्पभित्या जहा जहाण ण्यस्स पुरिसस्स वाम वामेण जाव विवच्चासेगा बहिस्समि तहा तहाण अहणाणच नाणोवलमच चरण चरणोवलमच द सणोवलम के जीवच जीवोवलम'च उवभिस्सामित एएण अहकारणोया चाम गमेण जाव विवच्चास विवच्चासेण वट्टते तत्तण कमी कुमार समणे पर्देसि राय एव वयासी जाणासिण तुम परासी कतिववहा रगा पन्नत्ता इता जाणामि चत्तारि ववहारगा पन्नाचा दतिणा यन्तावार्य । पूर्वमन्येपा दाता भूत्वा सम्प्रतितेन धम्मप्रतिपारा तेपामदाबान भवितव्य समाज मन्तरा वस्य जिनधम्मापभाजनस्वच प्रसकी यखापाउन्भूया उवैज्मला इत्यादि उक्षमा भुदेव धामोसी कमडलन शाकारह लक्षणकरीननिलीड डाभदीजद कूतरानापगतुलाचन करीब दसवाइरिकाठचानी थाजादीनद जिकीद पिपरिपदाद अपराधकरर तहनदा नही अनिष्टवचन' भप्रियनही भतियमनीज वचन उलभुदीने रानामक धापी गुवक प्रथम हेमदेसी तुनाणा छ उहीपणि तुमुझन डावउ डावै प्रवर्भावै दडरूप शनमुपगुदडरूपि प्रतिलज पराठ प्रतिकुलपण प्रतिलीमपगड अनेरठामि धनैरु कहिवर वत्त दबद गुरु इमकहापक्षी प्रदेसी केसी कुमार श्रमणप्रति दूमबोल्यु एयोपरि निश्वर हे देवानमियतुमन पहिलइनप्रश्न माधवएतलइवनमाहिपसीतामचितणूजडाखरलूमोजडपवासतिएइ माहरु मनोगतवातन नुमेलाधू तिद्वारइ अप्रतिबोधपाम्यउ तिवारपछी सुमनः एएक प्रात्मनः विपद विततरूपसकल्प विचारऊपनु जिम जिम एहन पुरुपनर डावू डावउ जुउपारवि भनेर प्रगामि धनेरू कहिवइवत्तिउ तिमतिम र सान धने पन्नाननउपरमार्थ ज्ञाननीयारिया रमन वारिवनीमाप्ति सम्यक सम्यक्नीप्राप्ति जीव मनजीवनीमाप्तिजीवनुपरमार्थ उथवा पामिन्यु त पशहू कारगर डावउ अवउ प्रतिकूलउपराष्ट्र वाकर दाकउ वर्तउरानी महापरि मेसी कुमार धमय प्रदेसी रानामति एमबोल्या जागाइझर तुम्हें प्रदेसी कतलान्यवरारीवा
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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