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________________ रावपसेपी। १३ ततेण सूरियाभेदेवे तेसिसामाणिवपरिमोववएणगाणदेवाय अतिए एवमहसोत्तोणिसम्महतुट्ठजावहिवए जाव सणिभाउ अज्झत्ति २त्ता उबवायसमाउ पुरथिमिल्नेगा दारंगा णिगच्छद जेणेव दरए तेगाव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता हरिव अगुप्पवाहिणीकरमागो २ पुरत्विमेणा तोरणेण अपविसति अणुपविसित्ता पुरथिमिल्लेण तिमोमाणग पडिमाग पच्चोरुभइ पच्चोगभित्ताजलावगाह करेंति जलमझगा करदूर सा जलकिट्टकरेत्ता जलकिडुकरता जलाभिमय कति पावते चोक्खे परममुत्तिभूए इरयाउ पच्चूत्तरत्ति हग्याती पन्चूत्तरित्ता जेणेव अभियसभा तेणेव उवागच्छति तेणेव उवाग च्छित्ता अभिव्य सभअणुपविस २ त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छड तेगोव उवागच्छेत्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सपिणसगणे तएण तस्स मूरिजाभस्स देवस्म सामाणिय परिसीव एणगा देवा आभिगिए देवेसद्दावति २ ता एववयासी खिप्पामेव प्रवान्ती गृहीता च मनाचीच स्वल्पस्यापि शकितमलस्वापनयनात, अतएव परमनिभूती पपिहितभनी सुरभणी योग्यताभणी निर्थ यसभणीमीचमणी भवनीपरपराइ सुभानउ बधभणी होस्यतिद्वारपछीतह याम देव तेहीनद सामानिक अभ्यतर परिपदानीवसणहारन देवता नई' समीपद एहवअर्थमाभली हिवययवधारी इपसतीपपाम्यउ चित्तमाहियाणदनु उवाए उ लिउठद सव्याथकी तेजसाहम उऊठद उभउथद्र उपपातसभाथकी पूर्वप्रहारन नीकल निकलीनद जिहा दूइ तिहा माइतिघा जइन दहनदू प्रदचिणा करतउथकट पूर्वन तारयन एइमाहिप्रवेशकरइ पसीनद पूवनदू पाउडाइ पद माहि तरह ऊतरीन नला जगाहकरिजनमाहितर जलस्नान कर करीनद जलक्रीडाकर जलकीडाकरीना नला भिषेककरविद हाधिकरीमस्तकि पाणीघालेगुरुजलिरीफरिम चौपउमलरहितथा परमसुद्धिपविव घाघकी नीकल दूदयकी नीलीन यकीनीकलीन जिहा राज्याभिषेक समातिमा बाद सिहा जन अभिपेक सभामतिसद पसीनद जिहा मिहामन तिहा नाइ तिहाइन सिहासननइविपदपायउयकर पूवनिमुखकरी बडठउ तिद्वारपद तैहना मूवाभना देवनी मामानिक परिषदा अन्धनरपरिषदानीबदमाहारदेवता मामिउगीमेवक देवताप्रतितडावरनह गम बोलाउतावलुनिश्च' अहोदेवानुप्रिया मूयाभन देवनदर्यिमाटउ पथमणिकनका ४४
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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