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________________ तेरापंथ - मत समीक्षा । उत्तर - प्रश्नव्याकरण आश्रवद्वार पहिलेमें देवकुल, प्रतिमा इत्यादि बहुत चीजें गिनाई हैं । उन कायांको करते हुए पृथ्वीका की हिंसा करनेवालेको मंदबुद्धिया कहा है । परन्तु उसके अधिकारी आगे चलकरके अनार्य दिखलाये हैं । पृष्ट ३२ से ४ २ तकका अधिकार देखनेसे मालूम हो जायगा । उसमें मंदबुद्धिया मिध्यादृष्टिका विशेषण है । ४७ पहिले तो यह दिखलाओ कि आप लोग मंदबुद्धिया किसे कहते हैं ? | क्या कमबुद्धिवालेको मंदबुद्धिया कहते हैं ? यदि ऐसा ही कहेंगे, तब तो केवलीकी अपेक्षा से सभी मंदबुद्धिये गिने जायेंगे । परन्तु नहीं, यहां पर रूढ अर्थ लिया गया है । मंदबुद्धिया, मिथ्यात्वीको कहते हैं । समकितदृष्टिजीवकी करणीसे जो हिंसा होती है, उसे हिंसा कही ही नहीं है । और यदि हिंसा कहोगे तो नीचे लिखी हुई बातोंको करनेवाले, तुम्हारे मन्तव्यानुसार मंदबुद्धिये कहे जायेंगेः - १ मल्लीनाथ भगवान्ने छे राजाओं को प्रतिबोध करनेके लिये २५ धनुष्यकी सुवर्णकी पोली पुतली बनवाई । उसमें आहारके कवल छ महीनों तक भरे । उसमें असंख्य जीव उत्पन्न हुए तथा मरे । अत्यन्त बदबू फैली | अब देखिये काम धर्मके निमित्त करते हुए बीच में अनन्त जीवोंकी हानी हुई, तो तुम्हारे हिसाब से मल्लीनाथ भगवान् मंदबुद्धिये होंगे । २ ज्ञाताजी में सुबुद्धिमंत्रिने, राजाको प्रतिबोध देनेके लिये खाईका दुर्गंधी, जीवोंके पिंडवाले जलको घडे में वारंवार परावर्तन किया । सुगंधी द्रव्य मिलाया, उसमें जीवोंका नाश हुआ । तो उसको भी मंदबुद्धिया कहना चाहिये ।
SR No.007295
Book TitleTerapanth Mat Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherAbhaychand Bhagwan Gandhi
Publication Year1915
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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