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________________ शंकाओं का समाधान - पूर्वोक्त प्राचीन शिलालेखों व ग्रन्थों में सर्वत्र उकेश या उपकेशपुर के नाम का ही उल्लेख मिलता है, पर किसी स्थान पर भी श्रोशियां शब्द का प्रयोग हुआ हो यह दृष्टिगोचर नहीं हुआ, इससे यह निश्चय होता है कि जिसको आज हम ओशियां कहते हैं उसका असली मूलनाम उकेश या उपकेशपुर था और इसी उपकेशपुर के निवासियों का नाम उपकेशवंश हुआ, बाद में कई एक कारणों से गोत्र व जातियों के नाम अलग २ पड़ गए तथापि आज पर्यन्त इन जातियों के आदि में वही मूलनाम उएस, ऊकेश और उपकेश लिखने को पद्धति विद्यमान है, जिनके प्रमाणस्वरूप हजारों शिलालेख इस समय भी मौजूद हैं, नमूना के लिए देखियेः "ई० सं० १०११ चैत सुद ३ श्री कक्काचार्यशिष्य देवदत्त गुरुणा उपकेशीय चैत्य गृहे अस्वयुज चैत्य षष्ठ्यां शान्ति प्रतिमा स्थापनीय गन्धोदकान् दिवालिका भासुल प्रतिमा इति” । (बा० पूर्णचन्द्रजी सं० प्रथमखण्ड लेखांक १३४ ) "सं० ११७२ फाल्गुन सुद ७ सोमे श्री ऊकेशीय सावदेव पत्न्या आम्रदेवी कारिता ककुदाचार्य प्रतिष्ठिता'। (बा) पूर्णचन्द्रजी सं० प्रथमखण्ड लेखांक ९१७ ) "सं० १३५६ ज्येष्ठ बद ८ श्री ऊकेशगच्छे श्री कक्कसरि संताने शाह माल्हण भा० सुहवदेवी पुत्र पाल्हयेन श्री शान्तिनाथ बिंब कारितं पित्रो श्रे० प्रति. श्री सिद्धमूरिभिः"। (श्रा० बुद्धि० सं० लेखांक १०४४) ® किन्हीं का व्यापार से किन्हीं का पिता के नाम से कई एको का ग्राम के नाम से किन्हीं २ का कोई महत्व का कार्य करने से तथा कई एको का हास्य कौतुक से पृथक् पृथक् गौत्र या जाति का नाम हो गया।
SR No.007293
Book TitleOswal Ki Utpatti Vishayak Shankao Ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1936
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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