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________________ UUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUG शासन प्रभावना * अमेरिका में जीवन यापन कर रहे बालकों को पाठशाला में धेर्मक्षेत्र के लिए तैयार करने में योगदान। * Jain Scholar Visitation में रसपूर्वक अग्रणी रहकर भाग लेना, उनको घर पर सम्मान स्वागतपूर्वक रखकर सार संभाल में मदद करना। * संघ में उत्सूत्र प्ररूपणा रूप आचरण, 'मैं करूँ वह सत्य' की हठ में दृढ़ ऐसे जीवों की अनुमोदना से दूर रहना । जिन शासन की निंदा न हो इसकी संपूर्ण सावधानी रखकर हमेशा जागृत रहना। * शक्ति के अनुसार स्वाध्याय, सामायिक, प्रतिक्रमण, आयम्बिल, एकासना, उपवास आदि धर्म अनुष्ठानों में उत्साह एवं उमंग से जुड़ना । पूजा-प्रक्षालन आदि विधि-विधान में मदद करना। * संघ की 'प्रशस्त' प्रवृत्तियों में तन-मन-धन से योगदान देना, जिससे मन प्रसन्न रहे। धर्म प्रभावना के मुख्य रूप से दो फल होते हैं, एक तात्विक तथा दूसरा आनुषांगिक । चित्त की प्रसन्नता, प्रसन्नता का फल चित्त की समाधि एवं समाधि का फल केवलज्ञान और अंत में मोक्ष । तात्विक फलस्वरूप सभी की आत्मा को आकर्षित करे तथा शासन सेवा जीवन को विकसित करती रहे यही अभ्यर्थना .... ७०७७०७0000000000090050905050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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