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________________ ®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOGOG दृष्टांत - सबके लिए सब कुछ संभव है। * तेजपाल सेठ की पत्नी अनुपमादेवी महाविदेह क्षेत्र में जन्म लिया, वहां दीक्षा लेकर केवलज्ञानी के रुप में विचरण कर रहे हैं। आयु पूर्ण होने पर मोक्ष जाएंगे। * हेमचन्द्राचार्य के संसारी शिष्य कुमार पाल राजा सिर्फ 3 भव करके मोक्ष जाएंगे। * बाह्य रुप से गृहस्थावस्था में रहे हुए कूर्मापुत्र, आंतरिक भावों से उच्च कक्षा को स्पर्श कर केवलज्ञान प्राप्त कर लिया। केवली अवस्था में 6 माह तक उन्होंने माता-पिता की सेवा की। उनके केवलज्ञान की किसी को मालूम नहीं पड़ी। अचरमावर्त में जीव को संसार ही अच्छा लगता है, मोक्ष नहीं, नियति पक्की। चरमावर्त में संसार भी अच्छा लगता है, मोक्ष भी अच्छा लगता है, पुरुषार्थ किया। अर्धचरमावर्त में संसार अच्छा नहीं लगता, मोक्ष ही अच्छा लगता है। पहले भगवान फिर सारी दुनिया, नवकार गिनना अच्छा लगता है, नोट गिनना है किन्तु अनमने भाव से । गुरु महाराज अच्छे लगते हैं, पत्नी साथ रहती है किन्तु अनमने भाव से व्यवहार निभाना है, पर साथ रहना अच्छा नहीं लगता। * मयणा सुंदरी की श्रीपालजी से शादी हुई उसी रात्रि में पूछा - कल सुबह क्या करेंगे ? मयणा ने यह नहीं कहा कि - पहले वैद्य के पास जाकर कोढ़ रोग दूर करने का उपाय पूछेगे या मामा के यहां जाकर रहेंगे या बहिन के यहां जाकर रहेंगे । नहीं ! मयणा ने उत्तर दिया - 'कल प्रात: सबसे पहले प्रभु आदिनाथ के दर्शनादि करेंगे।' मयणा श्रीपाल के पहले भगवान और हमारे ? भगवान का नंबर आखरी में। अर्धपुद्गल, परावर्तन में प्रवेश करना है तो प्रथम नबंर देव-गुरु-धर्म का । गुणों की तरफ आकर्षण संसार के प्रति अनासक्ति भाव उत्पन्न करने का प्रयत्न। * श्रीयक - बहिन साध्वी यक्षा के कहने से उपवास किया, मृत्यु को प्राप्त हो गया (स्थूल भद्रजी की 7 बहनों में से 1) विज्ञान का पायदान : पदार्थ, धर्म का पायदान : आत्मा। ७050505050505050505050505050327090900505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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