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________________ GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOG@GOGOGOGOGOGOG अंतिम श्वासोच्छ्वास द्वारा आठ कर्म क्षय कर सिद्ध होते हैं। ये महात्मा चरम शरीरी होते हैं, इसी भव में मोक्ष जाने वाले होते हैं । अंत समय में अंतमुहूर्त में केवल ज्ञान प्राप्त कर, धर्म देशना दिए बिना ही मुक्ति पद प्राप्त कर लेते हैं । अंतगड़ सूत्र यानि संसार का संपूर्ण अंत कराते,अंत:करण की यात्रा के अध्ययन । चंपक सेठ :- ‘अनुबंध' को समझाने वाला सुंदर दृष्टांत। धन्यपुर नगर, चंपक सेठ अत्यन्त धार्मिक व्रतधारी श्रावक नित्य प्रतिक्रमण पर्व दिन में पौषध, उसके बाद गुरु महाराज को भात-पानी का लाभ देने की विनंती । गोचरी का समय हो जाए तब फिर विनंती करने जाना, गोचरी वोहराने के बाद त्रिकाल वंदना करना (यदि साधु भगवंत गोचरी नहीं लेते हैं तो स्वयं भी नहीं खाना, ऐसी दृढ़ता से आचार पालन करना)। __ अंतर के उमड़ते भावों से साधु भगवंत को आहार देना । एक दिन मुनि को पात्र में घी वोहराते हुए धार बराबर पात्र में जा रही है । सेठ वोहराने के भाव में तन्मय था और उस समय अनुत्तर विमान की गति का बंध हो रहा था, मुनि यह सब देख रहे थे। आखिर मानव स्वभाव वश एकदम भावधारा टूटी, पात्र के ऊपर दृष्टि गई, पात्र पूरा भरा हुआ देख सेठ के विचारों ने पलटा खाया। सेठ सोचने लगा - ‘यह साधु है कि क्या है ? ऐसा लगता है ये समझता नहीं । मना नहीं करता है।' मुनि भगवंत ने कहा ऐसे कैसे नीचे गिर गए ? सेठ मुनि की भाषा न समझते हुए उसने मना किया। नीचे कहाँ ? मैं तो यहीं खड़ा हूँ। साधुजी ने समझाया, सोने जैसे दान करते हुए तुमने लांछन लगा दिया । दान देते समय भाव धारा चढ़ती रहने देना चाहिए । देवलोक की उच्चगति बंधको रोक दिया । भयंकर पश्चाताप हुआ, गुरु के पास आलोचना ली, आयु पूर्ण कर 12वें देवलोक में गए। दान देते समय कभी भी अतिचार नहीं लगाना, अन्यथा सुख अल्प ही मिलता है । पुण्य न मिले तो फिर मोक्ष की बात ही क्या ? 9090909009090909050909090903260900909090905090900909090
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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