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________________ ४०२] प्राग्वाट-इतिहास: [ तृतीय निपुण मन्त्री गुणराज ने जो अति धनवान् एवं धर्मात्मा था अपनी स्त्री रूपिणीदेवी और पासचन्द्र आदि पुत्रों के सहित अपनी माता देमतीदेवी के प्रमोद के लिये बृहत्तपागच्छीय श्री ज्ञानकलशसरि, विद्यागुरु उपाध्याय चरणकीर्शि की निश्रा में वि० सं० १५१४ माघ शु० २ सोमवार को श्री कल्पसूत्र' की एक प्रति मं० देव द्वारा लिखवाकर श्री पूज्य भ० श्री विजयरत्नसरि गच्छाधिप के विजयराज्य में पं० विजयसमुद्रगणि को अर्पित की।१ श्रेष्ठि केहुला वि० सं० १५१६ अहमदाबादवासी प्राग्वाटज्ञातीय मं० महुणसिंह भार्या महुणदेवी के पुत्र महं० लाखा भार्या वैदेउ, महं. श्री ठाकुरसिंह भार्या झबकूदेवी के पुत्र केहुला भार्या कर्मादेवी, वेला भार्या मेघू-इन में से शा० केहुला ने अपनी स्त्री कर्मादेवी के तथा अपने श्रेय के लिये वि० सं० १५१६ माघ कृ. १४ गुरुवार को श्री 'प्रवचनसारोद्धारसूत्र' नामक ग्रन्थ की एक प्रति लिखवाई ।२ वंश-वृक्ष महं० महुणसिंह [महुणदेवी] महं० लाखा [वैदेउदेवी] महं० ठाकुरसिंह [झवकूदेवी] केहुला [कर्मादेवी] वेला [मघूदेवी श्रेष्ठि निणदत्त वि० सं० १५४३ अहमदाबादनिवासी प्राग्वाटज्ञातीय श्रेष्ठि जुगपाल के पुत्र वइरसिंह की धर्मपत्नी गउरदेवी के पुत्र संघवी जिणदत्त ने श्री कल्पसूत्र' (सावचूरी) नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की प्रति वि० सं० १५४३ द्वितीय श्रावण १० एकादशी को लिखवाई।३ १-प्र०सं० भा०२ पृ०१८प्र०७५ (श्री कल्पसूत्र) २-प्र०सं० मा०२ पृ० २१ प्र०६१ (प्रवचनसारोद्धारसूत्र) ३-प्र०सं०भा०२ पृ०४३ प्र०१८३ (श्री कल्पसूत्र)
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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