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________________ ३६८ ] :: प्राग्वाट - इतिहास : श्राविका आल्हू वि० सं० १४५४ विक्रमीय पन्द्रहवीं शताब्दी में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० लाषण खंभात नगर में महादयालु, यशस्वी एवं धर्मात्मा पुरुष हो गया है । उसका विवाह रूपगुणसम्पन्ना साऊ नामा कन्या से हुआ था । श्राविका साऊदेवी दृढ़ जैनधर्मी, स्त्रीशिरोमणि थी। उसके आल्हू नामा कन्या उत्पन्न हुई । आल्हू सुशीला, गुणवती कन्या थी । प्रभु-पूजन में उसकी सदा अपार श्रद्धा, भक्ति रही । उसका विवाह स्थानीय प्राग्वाटज्ञातीय प्रसिद्ध व्यवहारी श्रीमंत वादा भार्या चांपलदेवी के पुत्र वीरम नामक अति गुणवान् युवक से हुआ था । श्रा० आल्हू ने तपागच्छनायक श्रीमद् देवसुन्दरसूरि के उपदेश को श्रवण करके तथा धन, वैभव, ऋद्धि-सिद्धि को असार समझ कर वि० सं० १४५४ में खंभातवास्तव्य कायस्थकुलकमलरवि जाना नामक प्रसिद्ध पुरुष के पुत्र मंत्रीवर भीमा से बहुत द्रव्य व्यय करके ‘पञ्चांगीसूत्रवृत्ति' नामक पुस्तक लिखवाई | १ श्राविका रूपलदेवी वि० सं० १४५६ [ तृतीय 1 वि० पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में अणहिलपुरपत्तन में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० वीर नामक श्रावक रहता था । वह व्रतनिष्ठ, सदाचारी, सभ्य एवं लब्धप्रतिष्ठ पुरुष था । उसके महापुण्यशाली वयज नामक पुत्र हुआ । श्रे० वयज की धर्मपत्नी माकूदेवी ( माऊदेवी ) थी । माकूदेवी चतुरा और अति सौभाग्यशालिनी स्त्री थी । वह अति उदार - हृदया एवं दयालु थी । उसके चार संतानें हुईं । तेजसिंह, भीमसिंह, पद्मसिंह नामक तीन पुत्र और रूपलदेवी नाम की एक पुत्री । रूपलदेवी गुणाढ़ था, सौभाग्यशालिनी थी । बालपन से ही वह धर्मरता, करुणार्द्रचेता, पुण्यकर्मकर्त्री तथा देव, गुरु में अतिशय भक्ति रखने वाली, नित्य कठोर तपकर्म करने वाली थी । तपागच्छनायक श्री देवसुन्दरसूरिगुरु के उपदेश को श्रवण करके उसने वि० सं० १४५६ में बहुत द्रव्य व्यय करके श्री ' पद्मचरित्र ' नामक ग्रन्थ की प्रति ताड़पत्र पर लिखवा कर पत्तन के ज्ञानभण्डार में स्थापित करवाई | २ श्रेष्ठ धर्म वि० सं० १४७४ विक्रमीय पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में प्राग्वाटज्ञातीय नरपाल, धनसिंह, खेता नाम के तीन प्रसिद्ध भ्राता हो गये हैं । उनका लक्ष नामक काका प्रसिद्ध व्यक्ति था । लक्ष की धर्मपत्नी झवकू अति पतिपरायणा एवं सती १ - जै० पु० प्र० सं० पृ० ४५. ता० प्र० सं० ४५. २ - प्र० सं० भा० १५० ६२ ता० प्र०६८ (पद्मचरित्र) D.C.M. P. (G.0.S.Vo.LXXVI.) P. 240 (395) D. C. M. P. (G. O. S. Vo. LXXVI.) P. 228 (371)
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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