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________________ खरड : तीर्थ एवं मन्दिरों में प्रा०मा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादिकार्य-श्री अचलगढ़तीर्थ :: [३१७ प्र. विक्रम संवत् प्र. प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रतिमाप्रतिष्ठापक श्रेष्ठि ५०-१५०४ अभिनन्दन- श्रीपरि प्रा० ज्ञा० श्रे० प्राचा की स्त्री लक्ष्मीदेवी के पुत्र पंचतीर्थी हरिभद्र ने स्वस्त्री लांबी और भ्राता हूगर आदि कुटुम्बीजनों के सहित. ५१-१५०६ फा० शु०६ अजितनाथ- सिद्धाचार्यसंता- प्रा० ज्ञा० श्रे० रामसिंह की स्त्री वर्जू देवी के पुत्र शुक्रवार पंचतीर्थी नीय ककसरि हेमराज ने स्वभार्या के सहित स्वमाता-पिता के श्रेयार्थ. ५२-१५०६ वैशाख सुविधिनाथ- तपा० रनशेखर- वेलगरीवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० टेदा की स्त्री वामादेवी पंचतीर्थी सरि के पुत्र भीला ने स्वभार्या हांसलदेवी आदि सहित. ५३-१५०७ चै० ० ५ सुव्रतस्वामी आरणावासी प्रा०ज्ञा० श्रे० वीका की पत्नी हंसादेवी, पंचतीर्थी के पुत्र खेतमल ने स्वभार्या लाड़ी और पुत्र पर्वत आदि के सहित स्वमातापिता के श्रेयार्थ. ५४-१५०८ माघ कृ०२ वासुपूज्य वीशलनगरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे वीशल की स्त्री पंचतीर्थी वर्जू के पुत्र प्राका, महिपा, जयसिंह ने अपनी अपनी स्त्रियां मृगदेवी, कर्मादेवी, बाजूदेवी और पुत्र भजा आदि के सहित स्वकल्याणार्थ. ५५-१५०८ वै० शु० ५ अभिनन्दन प्रा० ज्ञा० श्रे० वस्तीमल की स्त्री सरस्वतीदेवी के सोमवार पुत्र हापा ने स्वभार्या सुवर्णादेवी आदि कुटुम्बीजनों के सहित माता-पिता के श्रेयार्थ. ५६-१५१६ ज्ये० शु०६ सुमतिनाथ- ब्रह्माण- . प्रा. ज्ञा० श्रे० नरपाल की स्त्री भामलदेवी के पुत्र . शुक्रवार पंचतीर्थी - उदयप्रभसूरि रांमा ने स्वभार्या रांमादेवी पुत्र सालिग,जसराज के सहित ५७-१५२० ज्ये० शु० १३ सुविधिनाथ- तपा० लक्ष्मी- उद्रावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० हूंडा की स्त्री मधुवती के पंचतीर्थी सागरसरि पुत्र भाड़ा ने स्वस्त्री हीरादेवी, पुत्र लीवा आदि के. सहित स्वमाता-पिता के श्रेयार्थ. ५८-१५२० संभवनाथ- तपा० लक्ष्मी- पालड़ीग्राम में प्रा० ज्ञा० सं० राउल की स्त्री पाल्हणचौवीशी सागरसूरि, देवी के पुत्र सं० वीरम ने स्वस्त्री चापलदेवी, स्वपुत्र सोमदेवसूरि सोनराज,प्रतापराज,सांवलराज,लोला के सहित स्वश्रेयार्थ ५४-१५२५ फा० शु० ७ संभवनाथ- तपा० लक्ष्मी- कासहृदाग्राम में प्रा. ज्ञा० श्रे. वीरमल की स्त्री पंचतीर्थी सागरसूरि सलखूदेवी के पुत्र वत्सराज ने स्वभार्या हीरादेवी आदि कुटुम्बीजनों के सहित स्वश्रेयार्थ. अ० प्रा० ० ले० सं० भा०२ ले० (५०)६३७, (५१)६३८, (५२)६३६, (५३)६४०, (५४)६४१, (५५)६४२, - (५६)६४३, (५७)६४४, (५८) ६४५, (५६)६४८ . ..
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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