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________________ ३०२] :: प्राग्वाट-इतिहास: [तृतीय श्री अर्बुदगिरितीर्थस्थ श्री भीमसिंहवसहिकाख्य श्री पित्तलहर-आदिनाथ-जिनालय में प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थों के देवकुलिका-प्रतिमाप्रतिष्ठादि कार्य श्रीअर्बुदाचलस्थ श्रीभीमसिंहवसहिकाख्य श्री पित्तलहर-आदिनाथ-जिनालय को वि० सं० १५२५ फाल्गुण शु० ७ शनिश्चर रोहणी नक्षत्र में देवड़ा राजधर सायर श्री डूंगरसिंह के विजयीराज्य में गूर्जरज्ञातीय शाह भीमसिंह ने बनवाया था। इस मन्दिर में प्राग्वाटज्ञातीय बन्धुओं द्वारा पूर्व प्रतिष्ठित बिंब निम्नवत् विद्यमान हैं। श्रेष्ठि देपाल वि० सं० १४२० गूढमण्डप में श्रीआदिनाथ भ० की छोटी एकतीर्थी-धातु-प्रतिमा विराजित है। इस बिंब को वि० सं० १४२० वैशाख शु० १० शुक्रवार को प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० लींबा की स्त्री देवलदेवी के पुत्र देपाल ने अपने माता, पिता और भ्राता के श्रेय के लिये पिप्पलीय श्रीवीरदेवसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया था ।१ श्रा० रूपादेवी वि० सं० १४२३ गृढमण्डप में श्रीसुमतिनाथ भ० की छोटी एकतीर्थी-धातु-प्रतिमा विराजित है। इस बिंब को वि० सं० १४२३ मार्गशिर कृ. ८ बुधवार को प्राग्वाटज्ञातीय थिरपाल की पत्नी सल्हणदेवी की पुत्री रूपादेवी ने अपने प्रात्मकल्याण के लिये श्री गूदा० (गुंदोचीया ?) श्री रत्नप्रभसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित करवाया था ।२ . श्रेष्ठि कालू वि० सं० १४३६ गूढमण्डप में श्री पद्मप्रभ भ. की छोटी एकतीर्थी-धातु-प्रतिमा विराजित है। इस बिंब को वि० सं० १४३६ पौष कृ. ६ रविवार को प्राग्वाटज्ञातीय व्यापारी सोहड़ के पुत्र जाणा की पत्नी अनुपमादेवी के पुत्र कालू ने अपने समस्त पूर्वजों के श्रेय के लिये साधुपूर्णिमागच्छीय श्री धर्मतिलकसूरि के उपदेश से प्रतिष्ठित करवाया था । श्रेष्ठि सिंहा और रत्ना वि० सं० १५२५ राजमान्य मंत्री सुन्दर और गदा ने वि० सं० १५२५ फाल्गुण शु० ७ शनिश्चर को १०८ मण प्रमाण धातु की प्रथम तीर्थङ्कर श्री ऋषभदेव की सपरिकर दो नवीन प्रतिमायें पाटण, अहमदाबाद, खंभात, ईडर आदि अनेक ग्राम, नगरों के संघों के साथ में श्रीचतुर्विधसंघ निकाल कर श्री अर्बुदाचलतीर्थ के श्री भीमवसहिकाख्य श्री पिसलहर-आदिनाथ-जिनालय के गूढमण्डप में तपागच्छीय श्री लक्ष्मीसागरसूरि के कर-कमलों से महामहोत्सव पूर्वक प्रतिष्ठित करवाई थी। श्री भीमवसतिका का निर्माण वि० सं०१५२५ में हुआ है। इससे सिद्ध होता है कि उपरोक्त तीनों बिंबों की स्थापन किसी संवत् में पीछे से की गई है। अ० प्रा० ० ले० सं० भा०२ ले०४२४.१ ४२३, ४२५३
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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