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________________ खण्ड ] नौवां १. महं० श्री जैत्रसिंह दशवां १. महं० श्री सुहड़सिंह मंत्री भ्राताओं की यात्रायें: किसने यात्रा :: मंत्री भ्राताओं का गौरवशाली गूर्जर मंत्री वंश और अबु दाचलतीर्थार्थ मंत्री नाताओं की यात्रायें :: [e १. २. कब वि० संवत् १२७८ फाल्गुण कृ० ११ गुरु• १२८७ कृ० ३ रविवार १२८८ १२६० १२६३ चैत्र कृ० ७-८ १२६३ वै० शु० १४-१५ ७. १२६७ वै० कृ० १४ गुरुवार " 19 प्रथम यात्रा - महामात्यवस्तुपाल ने महामात्य बनने के लगभग डेढ़ वर्ष पश्चात् वि० सं० १२७८ फाल्गुण क्र० ११ गुरुवार को की थी। उस समय केवल विमलशाह द्वारा विनिर्मित विमलवसतिका ही अनुदस्थ जैनधर्मस्थानों में प्रसिद्ध तीर्थ था । महामात्य ने उपरोक्त तीर्थ के दर्शन किये और अपने स्वर्गस्थ ज्येष्ठ भ्राता श्री मालदेव के श्रेयार्थ खत्तक बनवाया । ३. ४. ५. ६. श्री अगिरतीर्थार्थ श्री मन्त्री भ्राताओं की संघ - यात्रायें और तदवसरों पर मन्त्री भ्राताओं के द्वारा तथा चन्द्रावतीनिवासी अन्य प्राग्वाटज्ञातीय बंधुओं के द्वारा किये गये पुण्यकर्मों का संक्षिप्त वर्णन महा० वस्तुपाल महा वस्तुपाल तेजपाल दंडनायक तेजपाल 11 २. महं० श्री जयतलदेवी ३. महं० श्री जंभणदेवी ४. महं० श्री रूपादेवी २. महं० श्री सुहड़ादेवी ३० महं० श्री सलखणादेवी " 19 27 19 "" " " " द्वितीय यात्रा - दोनों भ्राताओं ने सपरिवार एवं विशाल संघ के साथ में वि० सं० १२८७ फा० कृ० ३ रविवार को की थी और जैसा लिखा जा चुका है मन्त्री भ्रताओं ने श्री लूणसिंहवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ चैत्यालय का प्रतिष्ठा - महामहोत्सव राजसी सज-शोभा के साथ श्रीमद् विजयसेनसूरि के करकमलों से करवाया था । तृतीय यात्रा - वि० सं० १२८८ में दंडनायक तेजपाल ने अपने सम्पूर्ण कुटुम्ब के साथ में की थी । महामात्य वस्तुपाल विशिष्ट राज-कार्य के कारण इस यात्रा में सम्मिलित नहीं हुए थे । इस अवसर पर करवाये गये धर्मकृत्य तथा विनिर्मित स्थानों के प्रतिष्ठादि कार्य भी मुख्यतया तेजपाल के ही श्रम के परिणाम थे और अतः वे तेजपाल के नाम से ही किये गये थे। इस यात्रावसर पर तेजपाल ने लूणसिंहवसतिका की पन्द्रह देवकुलिकाओं में, जिनका निर्माण हो चुका था अपने ज्येष्ठ भ्राता मालदेव और ज्येष्ठ भ्राता वस्तुपाल के समस्त परिवार के एकएक व्यक्ति के श्रेयार्थ जिन - प्रतिमायें स्थापित की थीं ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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