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________________ ::शाह ताराचन्द्रजी:: [ ११ आप जैसे व्यापारकुशल एवं शिक्षणप्रेमी है, वैसे ही समाजहितचिंतक एवं समाजसेवक भी हैं। श्री भावनगर (काठियावाड़) से वि० सं० १९७ के आश्विन शुक्ला १० को श्री सम्मेतशिखरतीर्थ की संघयात्रा सम्मेतशिखरतीर्थ की यात्रार्थ करने के लिये स्पेशल ट्रेन द्वारा संघ निकला था। वह संघ पुनः १९८८ मार्गशिर जाते हुये श्री भावनगर के शु० २ शुक्रवार को अपने स्थान पर लौट कर आया। आपने संघ की अमूल्य सेवा संघ की सराहनीय सेवा. फरने का सोत्साह भाग लिया था। आपकी प्रसंशनीय एवं अथक सेवाओं से मुग्ध हो कर भावनगर के 'श्री बड़वा जैन-मित्र मंडल' ने आपकी सेवाओं के उपलक्ष में आपको अभिनन्दन-पत्र अर्पित किया • था। अभिनन्दन-पत्र की प्रतिलिपि नीचे दी जाती है, जिससे स्वयं सिद्ध हो जायगा कि आप में समाज, धर्म के प्रति कितना उत्कट अनुराग एवं श्रद्धा है और आप कितने सेवाभावी हैं । PR श्री भावनगर-समेतशिखरजी जैन स्पेशीयल (यात्रा प्रवास नों समय सं० १९८७ ना आसोज शुद १० थी सं० १६८८ ना मार्मशिर शु० २ शुक्रवार) अभिनन्दन-पत्र शाह ताराचन्द्रजी मेघराजजी, रानी स्टेशन __श्री समेतशिखरबी आदि पुनित तीर्थस्थानोनी यात्रानो लाभ भावीको सारी संख्या मां लइ शके ते माटे योजवामां आवेलं आ यात्रा-प्रवासमां आपे सहृदयतापूर्वक अमारा सेवा-कार्य मां अपूर्व उत्साहभर्यो जे सहकार प्राप्यो छे, तेना संस्मरणो सेवाभावनान एक सुन्दर दृष्टान्त बनी रहे छ। श्रा लांबा अने मुश्केल पणाता प्रवास ने सांगोपांग पार पाड़वामां आपनो सहकार न भूलाय तेवो हतो । संघनी सेवा माटे आपे जे खंत अने उत्साह दाखव्यो छे ते बतावे ले के सेवा धर्मनी उज्ज्वल भावना ना पूर हजु समाज मां उछली रहया छ। अपूर्व खंतभरी प्रापनी आ सेवाना सन्मान अर्थे श्रा अभिनन्दन-पत्र रज करता प्रार्थीए के सेवा भावनानी पुनित प्रथा वधु ने वधु प्रकाशो। बड़वा, शाह गुलाबचन्द खन्लुभाई-प्रमुख ठि. जैन मन्दिर • शाह लल्लुभाई देवचन्द । शेठ हरिलाल देवचन्द दो० सैक्रेट्रिो भावनमर. श्री बडवा-जैन-मित्रमण्डल ... ..... आनन्द प्रिन्टिग प्रेस, भावनगर..... ....... .......... . - KARA TEELER
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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