SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०५ श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी विधान आत्म अनादि निधन गुण वैभव से संपन्नित को जानूं । एक पदार्थ समूह जान लूं शुद्ध स्वपद को पहचान || पूजन क्रमांक ११ तत्त्वज्ञान तरंगिणी दशम अध्याय पूजन स्थापना गीतिका तत्त्वज्ञान तरंगिणी का यह दशम अधिकार है । शुद्ध निज चिद्रूप का तो नाम ही सुखकार है | शुद्ध निज चिद्रूप के ध्यानार्थ तज दो अहंकार । साथ ही ममकार तज दो फिर बनो तुम निर्विकार || ॐ ह्रीं दशम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र अवतर अवतर संवौषट्। ॐ ह्रीं दशम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठः स्थापनं । ॐ ह्रीं दशम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् । अष्टक छंद चौपइ आंचली बद्ध सात तत्त्व का ज्ञान करूं निज का ही श्रद्धान करूं । परम सुख हो पूजे नाथ परम सुख हो ॥ त्रिविध रोग का करूं विनाश परम शुद्ध चिद्रूप प्रकाश । महा सुख हो देखे नाथ महा सुख हो ॥ ॐ ह्रीं दशम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागमाय जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं नि ।
SR No.007196
Book TitleTattvagyan Tarangini Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Pavaiya
PublisherTaradevi Pavaiya Granthmala
Publication Year1997
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy