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________________ नय-रहस्य. व्यवहार कथन समझा गया आशय. अ. आदमी देखकर कचरा फेंकना | जब आदमी न हो, तब कचरा फेंकना ब. सिर-दर्द की दवा लाना सिर-दर्द मिटाने की दवा लाना स. आपका ही घर है, कोई संकोच | आपका घर नहीं है, परन्तु आप न करें। यहाँ हमारे घर पर अपने घर के समान निःसंकोच रहें। द. अम्मा को यह दवा हिलाकर अम्मा को नहीं हिलाना है, दवा ___ पिला देना। की शीशी को हिलाकर दवा को हिलाना है। इ. बेटा! मम्मी को बुलाना। बेटा! तुम अपनी मम्मी को बुलाना। ई. यह पेटी बहुत कीमती है, इसे | इस पेटी में रखा हुआ माल बहुत सम्भाल कर ले जाना। कीमती है, उसे सम्भालना है। इसप्रकार हमारे लोक-जीवन में ऐसे अनेक प्रसंग बनते हैं, जब हम सामनेवाले के कथनों को शब्दानुसार ग्रहण न करके, उसका भाव ग्रहण करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अपने भावों को व्यक्त करने हेतु किये गये कथन व्यवहारनय के हैं और उनके माध्यम से समझा गया भाव, परमार्थ या निश्चयनय है। यही पद्धति जिनवाणी का आशय समझने में भी अपनाई जाती है, अन्यथा हम जिनवाणी का यथार्थ मर्म नहीं समझ पाते और यह मनुष्य भव व्यर्थ चला जाता है। मोक्षमार्ग प्रकाशक, पृष्ठ 252 पर व्यवहारनय द्वारा परमार्थ को समझने के निम्नलिखित तीन प्रयोग बताये गये हैं -
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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