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________________ जन्ममंगल मुनिदीक्षा : अध्यात्मयुगप्रवर्तक आचार्य श्री कुन्दकुन्द वीर नि.सं.५१४, ईसुकी प्रथम शताब्दीमें अनन्तपुर जिले (आन्ध्रप्रदेश) के गुण्टूकल स्टेशनसे लगभग चार मील दूर कोण्डकुण्डमें जन्मे। वीर नि.सं. ५२५, जिनशासनकी प्रभावना एवं आध्यात्मिक क्रान्तिकी जन्मघूटी पीकर, उसे साकार करने हेतु मात्र ११ वर्षकी आयुमें ही मुनिव्रत अंगीकार किये। : आचार्यपद : वीर नि.सं. ५५८, सातिशय ज्ञान, उत्तम संयम और सर्वतोमुखी प्रतिभा के बलसे केवल ४४ वर्षकी आयुमें आचार्यपदकी गरिमा एवं दायित्वका अनदेखा निवर्हन । स्वर्गारोहण साहित्यनिर्माणःः आचार्यश्री मूलसंघके अग्रणी हुए एवं भगवान महावीरके जगहितकारी उपदेशको सूत्रबद्ध किया । तत्कालीन जनभाषा प्राकृतमें लगभग चौरासी पाहुडोंका प्रणयन। जिनमें समयसार, प्रवचनसार, पञ्चास्तिकाय, नियमसार, अष्टपाहुड, रयणसार, बारस अणुवेक्खा आदि प्रमुख तथा उपलब्ध ग्रन्थ हैं। विश्रुति है कि परिकर्म' नामक विशालकाय ग्रन्थके प्रणेता भी आप ही हैं। विश्वप्रसिद्ध 'कुरलकाव्य की रचना भी आपकी मानी जाती है। अपूर्व प्रभाव : पश्चाद्वर्ती सभी आचार्यों पर कुन्दकुन्दका अमिट प्रभाव रहा है। आ. अमृतचन्द्र, आ. जयसेन, आ. पद्मप्रभमलधारिदेव, आ. देवसेन आदि सभी प्रभावशाली आचार्योंने उनका अनुसरण किया है। : वीर नि.सं. ६०९, करीब ९५ सालकी उम्र में, कुन्दादि पर्वत (कर्णाटक) ।
SR No.007155
Book TitleBaras Anupekkha
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorVidyasagar, Chunilal Desai, Atmanandji Maharaj Maharaj
PublisherSatshrut Sadhna Kendra
Publication Year1989
Total Pages102
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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