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________________ 64 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना सृष्टिवाद का भी खण्डन करता है। न्याय के ईश्वरवाद का विरोध कर सांख्य अनीश्वरवाद का प्रतिपादन करता है। सृष्टिवाद का विरोध कर सांख्य विकासवाद का समर्थन करता है। भारतीय दर्शन में विकासवाद का अकेला उदाहरण सांख्य ही है। सांख्य दर्शन का आधार कपिल द्वारा निर्मित सांख्य सूत्र कहा जाता है। कुछ लोगों का मत है कि कपिल ने 'सांख्य प्रवचन सूत्र' जो सांख्य सूत्र का विस्तृत रूप है और 'तत्त्व समास' नामक दो ग्रन्थ लिखे हैं। पर दुर्भाग्य की बात यह है कि कपिल के दोनों ग्रन्थ नष्ट हो गए हैं। इन ग्रन्थों का कोई प्रमाण आज तक प्राप्त नहीं है। उपर्युक्त ग्रन्थों के अभाव में सांख्य-दर्शन के ज्ञान का मूल आधार ईश्वरकृष्ण द्वारा लिखित 'सांख्यकारिका' है |38... ऐसा कहा जाता है कि ईश्वरकृष्ण असरि के शिष्य एवं पंचशिख के शिष्य थे। असुरि के सम्बन्ध में कहा जाता है कि वे सांख्य दर्शन के जन्मदाता कपिल के शिष्य थे। "सांख्यकारिका' सांख्य का प्राचीन और प्रामाणिक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में सांख्य दर्शन की व्याख्या 72 छोटी-छोटी "कारिकाओं में की गयी है, जो छन्द में है। इस दर्शन की व्याख्या साधारणतः "सांख्यकारिका को आधार मानकर की जाती है। "सांख्यकारिका' पर गौडपाद ने टिका लिखी है।7 "सांख्यकारिका' पर वाचस्पति मिश्र ने भी टीका लिखी है, जो 'सांख्य तत्त्व कौमुदी' के नाम से प्रसिद्ध है। ‘सांख्य प्रवचन सूत्र के सम्बन्ध में कुछ विद्वानों का मत है कि वह चौदहवीं शताब्दी में लिखा गया है। विज्ञान भिक्षु ने 'सांख्य प्रवचन सूत्र' पर एक भाष्य लिखा है, जो 'सांख्य प्रवचन भाष्य' के नाम से विख्यात है, परन्तु इसकी ख्याति 'सांख्य तक्त, कौमुदी' की अपेक्षा कम है।98 सांख्य का नामकरण 'सांख्य' क्यों हुआ-इस प्रश्न को लेकर मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वानों ने सांख्य शब्द का विश्लेषण करते हुए बतलाया है कि सांख्य शब्द 'सं' और 'ख्या' के संयोग से बना है। 'सं = सम्यक्' और 'ख्या = ज्ञान होता है। इसलिए सांख्य का वास्तविक अर्थ हुआ 'सम्यग्ज्ञान' । 'सांख्य' शब्द के इस अर्थ को माननेवाले विद्वानों का मत है कि इस दर्शन में सम्यग्ज्ञान पर जोर दिया गया है, जिसके फलस्वरूप सांख्य को 'सांख्य' कहा जाता है। सम्यग्ज्ञान का अर्थ है पुरुष और प्रकृति के बीच भिन्नता का ज्ञान नहीं करने से ही बंधन होता है। कुछ विद्वानों का मत है कि सांख्य नाम ‘संख्या' शब्द से प्राप्त हुआ
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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