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________________ प्रस्तावना कवि द्यानतरायजी जैन वाङ्मय के अद्वितीय, असाधारण, साहित्यकार एवं आध्यात्मिक सन्त कवि हैं । वास्तव में वे जैन महाकवियों की परम्परा के मौलिक ग्रन्थ प्रणेता और अध्यात्म रस के रसिया के रूप में विश्रुत थे । उन्होंने जैन आचार्यों द्वारा प्रणीत अध्यात्म, दर्शन एवं साहित्य की परम्परा के मर्म को अपने में आत्मसात कर अपनी कृतियों व भाषा साहित्य द्वारा जैनधर्म के रहस्यों को उजागर किया है । जैन आचार्यों ने जिस अध्यात्म एवं दर्शन का बीज बोया था, उसे. अपने अनुपम व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व द्वारा पल्लवित, पुष्पित, फलित और विस्तृत करने का पूर्ण श्रेय द्यानतरायजी को है । इस शोधकार्य को करने के निम्न कारण रहे हैं (1) प्रायः जैन साहित्य को धार्मिक एवं साम्प्रदायिक मानकर उपेक्षित किया जाता रहा है और जैन कवि एवं साहित्यकारों पर शोधकार्य कम ही हुआ है। अतः जैन कवि द्यानतराय पर शोध करने का विचार उदित हुआ । (2) अध्यात्म साहित्य की कई विशेषताएँ द्यानतराय के साहित्य में दृष्टिगोचर होती हैं । अतः हिन्दी आध्यात्मिक साहित्य के विशेष सन्दर्भ में द्यानतराय के साहित्य का समालोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया । उपर्युक्त सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने शोध का विषय 'कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना' रखा। प्रस्तुत शोध प्रबन्ध को छह अध्यायों में विभक्त किया गया है, जिसका सारांश निम्नलिखित है — करते प्रथम अध्याय में द्यानतराय के जीवन परिचय एवं व्यक्तित्व परं प्रकाश डाला गया है। जीवनवृत्त के अन्तर्गत नाम, शिक्षा, परिवार, निवास स्थान एवं कार्यक्षेत्र, जन्म - मृत्यु एवं रचनाकाल, वैवाहिक जीवन, द्यानतराय के पूर्वज आदि का निर्धारण किया गया है। द्यानतराय का व्यक्तित्व अनेक गुणों से सुशोभित था । वे कंवि, सदाचारी, अध्यात्मरसिक, सहृदय, विद्वान, गणितज्ञ, गायन - प्रिय, निरभिमानी, आत्मचिन्तक, भक्त एवं गुणानुरागी, विनम्र, मृदुभाषी, विचारशील, धार्मिक, हिंसा एवं वैर के विरोधी के रूप में दृष्टिगत होते हैं। द्वितीय अध्याय में रचनाओं का वर्गीकरण गद्य और पद्य के रूप में उनकी प्रकाशित-अप्रकाशित रचनाओं पर विस्तृत विवेचन किया हुए - '
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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