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________________ तृतीय अध्याय द्यानतराय के साहित्य में अध्यात्म चेतना (क) अध्यात्म स्वरूप एवं विश्लेषण (1) अध्यात्म शब्द की व्युत्पत्ति, अर्थ, लक्षण एवं परिभाषा: अध्यात्म शब्द अधि उपसर्ग पूर्वक आत्म शब्द के योग से निर्मित हुआ है, जिसका अर्थ है आत्मा से सम्बन्धित या आत्मा का; अर्थात् जो आत्मा से सम्बन्धित है, वही अध्यात्म है; जो आत्मा के चहुंमुखी विकास को बताता है, वही अध्यात्म है या ऐसा कहें कि जो आत्मा के पूर्ण विकास की बात कर नर से नारायण, पामर से भगवान बनाने की बात करता है वही अध्यात्म है। ___ अध्यात्म की परिभाषा-अध्यात्म को विभिन्न विद्वानों, दार्शनिकों ने अलग-अलग रूप से परिभाषित किया है, इसी श्रृंखला में समयसार में अध्यात्म शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया गया है - निज़शुद्धात्मनि विशुद्धाधारभूतेऽनुष्ठानमध्यात्मम् ।' अर्थात् अपने शुद्धात्मा में विशुद्धता का आधारभूत अनुष्ठान या आचरण अध्यात्म है। . उसी प्रकार अर्थपदानामभेदरत्नत्रयप्रतिपादकानामनुकूलं यत्र व्याख्यानं क्रियते तदध्यात्मशास्त्रं भण्यते' अर्थात् अभेदरूप रत्नत्रय के प्रतिपादक अर्थ और पदों के अनुकूल जहाँ व्याख्यान किया जाता है, उसे अध्यात्म शास्त्र कहते हैं। मिथ्यात्वरागादि-समस्त विकल्पजाल रूप-परिहारेण स्वशुद्धात्मन्यनुष्ठानं तदध्यात्ममिति।' .. अर्थात् मिथ्यात्व, राग आदि समस्त विकल्पजाल के त्याग से शुद्धात्मा में जो अनुष्ठान अर्थात् प्रवृत्ति करना, उसे अध्यात्म कहते हैं। आत्मानमात्मन्यात्मना संघत्त इत्यध्यात्मम्।' अर्थात् आत्मा को आत्मा में आत्मा से धारण कर रखता है, टिका रखता है, जोड़ रखता है, वह अध्यात्म है। जहाँ एक आत्मा के आश्रय निरूपण करिये, सो अध्यात्म है।
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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