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________________ 17 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना वंदना करना, नमस्कार करना, प्रदक्षिणा करना, स्तुति करना आदि क्रियाएँ भी द्रव्यपूजन है। इस सन्दर्भ में आचार्य समन्तभद्र का निम्न कथन दृष्टव्य है न पूजयार्थस्त्वयि वीतरागे न निन्दया नाथ विवान्तवैरे । तथापि ते गुणस्मृतिर्नः, पुनाति चित्तं दुरिताज्जनेभ्यः । । यद्यपि जिनेन्द्र भगवान वीतरागी हैं; अतः उन्हें अपनी पूजा से कोई प्रयोजन नहीं है । वैर रहित हैं; अतः निंदा से भी उन्हें कोई प्रयोजन नहीं है । तथापि उनके गुणों का स्मरण पापियों के पाप रूप मल से मलिन मन को निर्मल कर देता है । - कुछ लोग जिन - पूजा को प्रकारांतर से भोग सामग्री से जोड़ देते हैं, किन्तु उक्त छंद में तो अत्यंत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उनकी भक्ति से भक्त का मन निर्मल हो जाता है । मन का निर्मल हो जाना ही जिनपूजा, जिनभक्ति का सच्चा फल है । ज्ञानीजन तो अशुभभाव और तीव्र राग से बचने के लिए ही भक्ति करते हैं । इस संदर्भ में आचार्य अमृतचंद्र की निम्नांकित पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं - "अयं हि स्थूललक्ष्यतया केवलभक्तिप्रधानस्याज्ञानिनो भवति । उपरितनभूमिकायामलब्ध्वास्पदस्यास्थानरागनिशेधार्थं तीव्ररागज्वरविनोदार्थं वा कदाचित् ज्ञानिनोऽपि भवतीति । " इस प्रकार का राग मुख्य रूप से मात्र भक्ति की प्रधानता और स्थूल लक्ष्य वाले अज्ञानियों को होता है । उच्च भूमिका में स्थिति न हो तो तब तक अस्थान का राग रोकने अथवा तीव्र रागज्वर मिटाने के हेतु से कदाचित् ज्ञानियों को भी होता है । 10 उक्त दोनों कथनों पर ध्यान देने से यह बात स्पष्ट होती है कि आचार्य अमृतचंद्र तो कुस्थान में राग के निषेध और तीव्र रागज्वर निवारण की बात कहकर नास्ति से बात करते हैं और उसी बात को आचार्य समंतभद्र चित्त की निर्मलता की बात कहकर अस्ति से कथन करते हैं । इस प्रकार पूजन एवं भक्ति का भाव मुख्य रूप से अशुभ राग व तीव्र राग से बचाकर शुभ राग व मंद राग रूप निर्मलता प्रदान करता है । यद्यपि यह बात सत्य है कि भक्ति और पूजन का भाव मुख्य रूप से शुभ भाव है, तथापि ज्ञानी धर्मात्मा मात्र शुभ की प्राप्ति के लिए पूजन - भक्ति नहीं करता । वह
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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