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________________ 204 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना (8) उदाहरण - अलंकार - नीतिपरक चर्चाओं में कवि द्वारा उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है । यह प्रयोग परम्परागत होते हुए भी यत्र-तत्र नवीनता के साथ अभिव्यक्त हुआ है। उदाहरण अलंकार को अलंकार पारिजात में इस प्रकार परिभाषित किया है - जब एक बात कहकर उसके उदाहरण के रूप में एक दूसरी बात कही जाय और दोनों को जैसे, ज्यों, जिमि आदि किसी उपमा वाचक शब्द से जोड़ दिया जाये, तो वहाँ उदाहरण अलंकार होता है। जैसे अब हम आम को पहिचाना। जैसा सिद्ध क्षेत्र में राजै, वैसा घट में जाना । । 1 । । भक्तिकालीन निर्गुण और सगुण भक्त कवियों की तरह द्यानतराय में भी अलंकारों के प्रति आग्रह की बात नहीं दिखती। उन्होंने अपनी नैतिक, धार्मिक, जनोपयोगी आदि चर्चाओं में सहजरूप से अलंकारों का प्रयोग किया है। इन प्रयोगों में कवि ने प्रस्तुत से अप्रस्तुत एवं बाह्य से अंतस् को जोड़ा है। पूर्व प्रचलित हिन्दी जैन कवियों की परम्परा में भी कवि द्वारा अलंकारों का पर्याप्त प्रयोग किया गया है। (4) प्रतीक योजना प्रतीकों के माध्यम से भाषा को भावप्रवण बनाने के साथ-साथ भावों की यथार्थ अभिव्यंजना की जाती है। इसलिए प्रत्येक भावुक कवि तीव्र रसानुभूति के लिए प्रतीक योजना का अवलम्बन लेता है। श्री नेमिचन्द जैन 'ज्योतिषाचार्य' प्रतीक को परिभाषित करते हुए कहते हैं वर्ण्य विषय के गुण या भाव साम्य रखनेवाले बाह्य चिह्नों को प्रतीक कहते हैं । मानव हृदय के गुह्यतम अन्तर्भावों की अभिव्यक्ति के लिए प्राकृतिक प्रतीकों को माध्यम बनाया जाता है। ये प्रतीक अमूर्त भावनाओं की प्रतीति कराने में सहायक सिद्ध होते हैं। मानव हृदय के अमूर्त भावों का साक्षात्कार इन्द्रियों के द्वारा नहीं किया जा सकता है । वे अमूर्त भावनाएँ प्रतीक योजना के आश्रय से हृदय पर सर्वाधिक गम्भीर प्रभाव डालती है 15 ―― --- प्रतीक योजना अमूर्त को मूर्तरूप देकर अत्यन्त सूक्ष्म भावनाओं का साक्षात्कार कराने में समर्थ होती है । विविध संस्कृतियों के अनुसार काव्य में रसोद्रेक के लिए साहित्यकार भिन्न-भिन्न प्रतीकों का प्रयोग करते हैं । सभ्यता, शिष्टाचार, आचार, व्यवहार तथा आत्मदर्शन के अनुरूप प्रत्येक
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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