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________________ 30 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल बिक्री एक रिकार्ड है। यदि इसका बाजार के मूल्य से आंकलन करें तो 16 करोड़ से अधिक की राशि होती है। __आपने शिक्षा के क्षेत्र में भी महनीय कदम बढ़ाते हुए बन्द हो रहे विद्यालयों को नई ऊर्जा प्रदान की और गुलाबी नगरी जयपुर में टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय की 1977 में आधार शिला रखकर अनुकरणीय कार्य किया है। इस विद्यालय की कीर्ति से प्रेरित होकर इस प्रकार के विद्यालय संचालन की समाज में मानो होड़-सी लग गई है। ___ इस महाविद्यालय के माध्यम से अब तक 620 शास्त्री विद्वान ज्ञानार्जन कर देश के बहुभाग में अध्यात्म की अलख जगा रहे हैं। इन विद्वानों में 161 विद्वान शिक्षा विभाग में शासकीय पदों पर रहते हुए अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं । विश्वविद्यालयों में विभागाध्यक्ष के रूप में 6, कॉलेजों में प्रोफेसर व व्याख्याता 32, निजी व्यवसाय में संलग्न 148, एम.बी.ए.-7, इंजीनियर-1, सी.ए.-2, आयकर उपायुक्त-1, पत्रकारिता के क्षेत्र में 9 तथा उच्च शिक्षा में अध्ययनरत 124 विद्यार्थी हैं। बन्द होती जैन पाठशालाएँ चिन्ता का विषय थीं। आपने इस दिशा में गहराई से चिन्तन किया और स्वयं वैज्ञानिक पद्धति से एक पाठ्यक्रम तैयार किया। इस पाठ्यक्रम में बालबोध भाग 1,2 व 3, वीतरागविज्ञान पाठमाला भाग 1,2 व 3 तथा तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग 1 व 2 के माध्यम से रुचिकर व ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम भावी पीढ़ी को दिया। वीतराग-विज्ञान विद्यापीठ परीक्षाबोर्ड 1968 में आपने स्थापित किया, जिसके माध्यम से अब तक 4 लाख 34 हजार 738 विद्यार्थी 600 पाठशालाओं के माध्यम से ज्ञानार्जन कर सफलता प्राप्त कर चुके हैं। ___ यही नहीं आपने देशभर में वीतराग-विज्ञान पाठशालाओं का जालसा बिछा दिया। इन पाठशालाओं में पढ़ाने हेतु अध्यापकों की शिक्षित टीम तैयार करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण शिविरों की अद्भुत शृंखला सन् 1969 से प्रारंभ की। यह प्रशिक्षण शिविर 43 वर्षों से निरन्तर चालू हैं और अब तक लगभग 8 हजर 9 सौ.44 अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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