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________________ 17 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल सम्पूर्ण जैन समाज ही नहीं, सम्पूर्ण धार्मिक समाज के उन्नय के लिए निरंतर साहित्य सृजन करते रहिए; जीवन के इस दौर में स्वामीजी जो विरासत आपको सौंप कर गए हैं,, उसे हजार हाथों से लुटाइए, और लाखों हाथों में बांटिए। गुरु कहान की वाणी जो, डॉक्टर साहब आप न फैलाते, शुद्धात्म सुधा सार कहो कौन पिलाते, कहो कौन पिलाते? - समाजरत्न अशोक बड़जात्या, इन्दौर डॉ. भारिल्ल का वीतरागी व्यक्तित्व आज विद्वत् जगत में, समाज में यह बड़ी भारी चिंता का विषय हो गया कि डॉ. भारिल्ल के बाद कौन? क्योंकि भारिल्लजी संस्था के . पर्यायवाची बन चुके हैं, प्राण बन चुके हैं; उनकी आत्मा का इसमें निवास हो रहा है। ____ आचार्य कुन्दकुन्द के समयसारादि जो ग्रंथ हैं, उन पर आचार्य अमृतचन्द्र, जयसेनाचार्य की जो टीकाएँ हैं, उन टीकाओं को दोनों भाइयों . ने इतनी गंभीरता से आत्मसात किया है, कहा नहीं जा सकता। . . __इन लोगों ने ऐसा चिंतन किया हैं कि ये उसमें तन्मय हो गये हैं। इनको दूसरी दुनिया दिखाई ही नहीं पड़ती। इनसे किसी और विषय की चर्चा करो तो कहेंगे कि नहीं, हमें इससे कोई मतलब नहीं। हमें तो अपना आत्मा देखना है । जो एक को जानता है, वह सबको जानता है। प्रत्येक आत्मा परमात्मा है, इसलिए आत्मा को जानो तो सब जान जाओगे। ऐसे आत्मा को आपने जाना है और इसे अपने जीवन में उतारा है। - वे आत्मा में ऐसे तन्मय हो गये हैं कि उससे बाहर निकलते ही नहीं हैं। हमने बहुत खोलने की कोशिश की, पर उन्हें बाहरी बातों में कोई आकर्षण नहीं है।
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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