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________________ पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी का माङ्गलिक प्रवचन 'आत्मा में सिद्धत्व की स्थापना का महा-महोत्सव __ आज तीर्थङ्कर अरहन्त भगवान की प्रतिष्ठा का मङ्गल दिवस है। इस प्रतिष्ठा-महोत्सव में आत्मा के स्वभाव की प्रतिष्ठा करने की बात है। इस जीव ने विकार को अपना मानकर अनादिकाल से अपने विकार की प्रतिष्ठा की है परन्तु विकार से भिन्न चैतन्यस्वभाव को जानकर, अपने में सिद्ध समान चैतन्य स्वभाव की प्रतिष्ठा करना धर्म है, इस तथ्य को अन्तरङ्ग से स्वीकार नहीं किया है। _ 'मैं विकार नहीं हूँ; मैं अखण्ड चैतन्यस्वभाव हूँ' - ऐसे भान द्वारा अरहन्त भगवान ने अपने आत्मा में चैतन्यस्वभाव की प्रतिष्ठा करके, उसमें लीन होकर राग-द्वेष का अभाव करके केवलज्ञान प्रकट किया; यह उन्हीं की स्थापना है। जो जीव अरहन्तों के समान अपने आत्मा में चैतन्य भगवान की प्रतिष्ठा करता है, वह भगवान हुए बिना नहीं रहता। अपने आत्मा में चैतन्यप्रभु की स्थापना करना ही परमार्थ स्थापना है; बाहर में भगवान की स्थापना तो उपचार से है।
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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