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________________ साध्वी प्रीतीसुधाजी म. सा. के सामने प्रस्तुत की । परमपूज्य साध्वी प्रीतीसुधाजी तथा उनके साथवाले बारह साध्वियों ने इस सामायिक का प्रॅक्टिकल करके देखा और इसकी सराहाना करते हुए। इसका जनमानसमें प्रसार करने की प्रेरणा दी। इससे मेरा उत्साह द्विगुणीत हुआ। बाद में और अधिक सखोलता से अभ्यास करते हुए, विद्वानो से संतो से मार्गदर्शन लेते हुए, सूत्रोंमे से विद्वानों के ग्रंथों सें शास्त्राधार लेते हुए, इसे मैने और भी अधिक परिपूर्ण बनाया । यह सामायिक- कुछ मेरी खोज नही है। जो सूत्रोंमें, शास्त्रोंमें कहा है वही बात अधिक आसान स्वरूपमें और सुस्पष्ट रूपमें में कर रहा हूँ । केवल जो सुवर्णफूल इस्ततः बिखर गए थे उन्हे इकठ्ठा करके एक माला के स्वरूप में सुशोभित करके, आपके सामने प्रस्तुत करने का यह एक नम्र प्रयास है । इस प्रयास में मुझे सर्वाधिक मार्गदर्शन और धैर्य देनेका काम किया नगर में स्थानापन्न मुनिवर्य विनोदमुनि म. सा. तथा विद्वान पंडित रत्न नेमिचंद्रजी म.सा. ने । शास्त्रज्ञ प. पु. गौतममुनीजी म.सा. (प्रथम), प्रवर्तक प. पू. रमेशमुनीजी म. सा. उपप्रवर्तक प. पू. सुरेशमुनीजी म.सा., वंदनिय प्रशांतऋषीजी म. सा., वंदनिय अक्षयऋषीनी म.सा., वंदनिय आदर्शऋषीजी म.सा. साध्वी प. पू. अर्चनाजी म.सा., साध्वी प. पू. डॉ धर्मशीलाजी म. सा., प. पू. साध्वी डॉ. ज्ञानप्रभाजी म. सा., प. पू. साध्वी डॉ. अरुणप्रभाजी म.सा. इन संतोने मुझे और स्फूर्ति प्रदान की । महासतीजी प. पू. इंद्रकॅवरजी म.सा. महासतीजी प्रवर्तक प्रमोदसुधाजी म.सा. इन्होने अपने वात्सल्यपूर्ण शुभ , vi.
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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