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________________ प्राकृतव्याकरणस्य मूलसूत्राणि तगर-त्रसर-तूवरे टः ॥ १२०५ ॥ मन्मथे वः ॥ १।२४२ ॥ प्रत्यादौ डः ॥ १।२०६ ॥ वाऽभिमन्यौ ॥ २२४३ ॥ इत्वे वेतसे ॥ १।२०७ ॥ भ्रमरे सो वा ॥ १।२४४ ॥ गर्भिता-ऽतिमुक्तके णः ॥ १।२०८ ॥ आदेर्यो जः ॥ १।२४५ ॥ रुदिते दिना ण्णः ॥ १।२०९ ॥ युष्मद्यर्थपरे तः ॥ १२४६ ॥ सप्ततौ रः ॥ १।२१० ॥ यष्ट्यां लः ॥ १।२४७ ।। अतसी - सातवाहने लः ॥ १।२११ ।। वोत्तरीया-ऽनीय-तीय-कृद्ये ज्जः ॥ १।२४८ ॥ पलिते वा ॥ १।२१२ ॥ छायायां होऽकान्तौ वा ॥ १।२४९ ॥ पीते वो ले वा ॥ १।२१३ ॥ डाह-वौ कतिपये ॥ १।२५० ॥ वितस्ति-वसति-भरत-कातर-मातुलिङ्गे हः ॥ १२१४ ॥ किरि - भेरे रो डः ॥ १२२५१ ।। मेथि-शिथिर-शिथिल-प्रथमे थस्य ढः ॥ १।२१५ ॥ पर्याणे डा वा ॥ १।२५२ ॥ निशीथ-पृथिव्योर्वा ॥ १।२१६ ॥ करवीरे णः ॥ १।२५३ ॥ दंश-दहोः ॥ १२१८ ॥ हरिद्रादौ लः ॥ १।२५४ ॥ संख्या-गद्गदे रः ॥ १२१९ ॥ स्थूले लो रः ॥ १।२५५ ॥ कदल्यामद्रुमे ॥ १२२० ॥ लाहल-लाङ्गल-लाङ्गले वाऽऽदेणः ॥ १।२५६ ॥ प्रदीपि-दोहदे लः ॥ १।२२१ ।। ललाटे च ॥ १।२५७ ॥ कदम्बे वा ॥ १।२२२ ॥ शबरे वो मः ॥ १।२५८ ॥ दीपौ धो वा ॥ १।२२३ ॥ स्वप्न-नीव्योर्वा ॥ १२५९ ॥ कथिते वः ॥ १।२२४ ॥ श-षोः सः ॥ १।२६० ॥ ककुदे हः ॥ १।२२५ ।। स्नुषायां हो नवा ॥ १।२६१ ॥ निषधे धो ढः ॥ २२२६ ॥ दश-पाषाणे हः ॥ १।२६२ ॥ वौषधे ॥ १।२२७ ॥ दिवसे सः ॥ २२६३ ॥ नो णः ॥ १२२८ ॥ हो घोऽनुस्वारात् ॥ १२२६४ ॥ वाऽऽदौ ॥ २२२९ ॥ षट्-शमी-शाव-सुधा-सप्तपर्णेष्वादेश्छः ॥ १।२६५ ॥ निम्ब-नापिते ल-ण्हं वा ॥ १।२३० ॥ सिरायां वा ॥ १।२६६ ॥ पो वः ॥ १२३१ ॥ लुग भाजन-दनुज-राजकुले जः सस्वरस्य नवा ।।१।२६७ ॥ पाटि-परुष-परिघ-परिखा-पनस-पारिभद्रे फः ॥ १।२३२ ॥ व्याकरण-प्राकारा-ऽऽगते क-गोः ॥ १।२६८ ॥ प्रभूते बः ॥ १२३३ ॥ किसलय-कालायस-हृदये यः ॥ २२६९ ॥ नीपा-ऽऽपीडे मो वा ॥ १।२३४ ॥ दुर्गादेव्युदुम्बर-पादपतन-पादपीठेऽन्तर्दः ॥ १२२७० ॥ पापद्धौं रः ॥ १।२३५ ॥ यावत्तावज्जीविता-ऽऽवर्तमाना-ऽवट-प्रावारक-देवकुलैवमेवे फो भ-हौ ॥ १।२३६ ॥ वः ॥ १।२७१ ॥ बो वः ॥ १।२३७ ॥ द्वितीयः पादः बिसिन्यां भः ॥ १२३८ ॥ कबन्धे म-यौ ॥ १।२३९ ॥ संयुक्तस्य ॥ २१ ॥ कैटभे भो वः ॥ १२४० ॥ शक्त-मुक्त-दष्ट-रुग्ण-मृदुत्वे को वा ॥ २२ ॥ विषमे मो ढो वा ॥ १२४१ ॥ क्षः खः क्वचित्तु छ - झौ ॥ २॥३॥
SR No.007102
Book TitleVyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalkirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages368
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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