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________________ ६३० मातुरिद्वा ॥ १११३५ ।। उदूदोष | १|१३६ ॥ इदुतौ वृष्ट-वृष्टि - पृथक् - मृदङ्ग नके ॥ १।१३७ ॥ वा बृहस्पती | १|१३८ ॥ इदेदोद् वृन्ते ॥ १।१३९ ॥ रिः केवलस्य ॥ १११४० ॥ ऋणवृषभर्वृषौ वा ॥ १०१४१ ॥ दृश: क्विप्टक्सका ।। १११४२ ।। आदृते ढिः || १।१४३ ॥ अरि ॥ १।१४४ ।। लृत इलि: क्लृप्त- क्लृन्ने ॥ १।१४५ ॥ एत इद्वा वेदना चपेटा देवर-केसरे । १११४६ ॥ - ऊः स्तेने वा ॥ १।१४७ ॥ ऐत एत् ॥ १।१४८ ॥ इत् सैन्धव-शनैश्चरे ॥ १११४९ ॥ सैन्ये वा ॥ ११५० ॥ अइदैत्यादौ च ॥ ११५१ ।। वैरादौ वा ॥ १।१५२ ॥ एच्च दैवे | १|१५३ ॥ उच्चैनीचैस्यअः ॥ १।१५४ ।। ईद्धैर्ये ॥ ११५५ ॥ ओतोऽद्वाऽन्योन्य प्रकोष्ठ ऽऽतोद्य शिरोवेदना-मनोहर सरोरुहे तोश्च वः ॥ १|१५६॥ ऊत् सोच्छ्वासे ॥ १।१५७ ॥ गव्यउ-आअः ॥ १।१५८ ॥ औत ओत् ॥ ११५९ ।। उत् सौन्दर्यादौ ॥ १।१६० ॥ कौक्षेयके वा ॥ १।१६१ ॥ अउः पौरादौ च ॥ १।१६२ ॥ आच्च गौरवे ॥ १।१६३ ॥ नाव्यावः ॥ १।१६४ ॥ एत् त्रयोदशादौ स्वरस्य सस्वरव्यञ्जनेन ।। १११६५ ॥ स्थविर - विचकिला यस्कारे ॥ १।१६६ ॥ वा कदले ॥ १।१६७ ॥ वेतः कर्णिकारे ॥ १११६८ ॥ अयौ वैत् ॥ १३१६९ ॥ ओत् पूतर-बदर-नवमालिका- नवफलिका- पूगफले ॥ १।१७० ॥ अवापोते ॥ १।१७२ ॥ ऊच्चो | ११७३ ॥ उमो निषण्णे || १।१७४ ॥ प्राकृतव्याकरणस्य मूलसूत्राणि प्रावरणे अङ् ग्वाऊ ॥ १।१७५ ॥ स्वरादसंयुक्तस्याऽनादेः ॥ ११७६ ॥ क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक् ॥ ११७७ ॥ यमुना चामुण्डा कामुकाऽतिमुक्तके मोऽनुनासिकक्ष ॥ १।१७८ ॥ नाऽवर्णात् पः ॥ अवर्णो यश्रुतिः ॥ १।१७९ ॥ १११८० ॥ कुब्न कर्पर कौले का खोऽपुष्पे । १।१८१ ॥ मरकत मदकले गः कन्दुके त्वादेः ॥ १११८२ ॥ किराते चः ॥ १।१८३ ॥ शीकरे म हौ वा ॥ १।१८४ ॥ चन्द्रिकायां मः ॥ १११८५ ।। निकष- स्फटिक चिकुरे हः ।। १२११८६ | ख-घ-थ-ध-भां हः ॥ १।१८७ ॥ पृथकि धो वा ॥ १।१८८ ॥ शृङ्खले खः कः ॥ १।१८९ ॥ पुत्रागभागिन्योगों मः ॥ ११९० ॥ छागे लः ॥ १।१९१ ॥ ऊत्वे दुर्भग- सुभगे वः ॥ १।१९२ ॥ खचित-पिशाचयोवः सौ वा ॥ १।१९३ ॥ जटिले जो झो वा ॥ १।१९४ ॥ टोडः ॥ ११९५ ॥ सटा - शकट-कैटभे ढः ॥ १।१९६ ॥ स्फटिके लः ॥ १।१९७ ॥ चपेटा पाटो वा ॥ १।१९८ ॥ ठो ढः ॥ ११९९ ॥ अोठे ॥ १।२०० ॥ पिठरे हो वा, रश्च डः ॥ १।२०१ ॥ डो लः ॥ १।२०२ ॥ वेणौ णो वा ॥ १।२०३ ॥ तुच्छे तश्च - छौ वा ॥ १।२०४ ॥
SR No.007102
Book TitleVyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalkirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages368
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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