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________________ मर्मप्रकाशिका टीका श्रुतस्कंघ २ उ. १ सू० ३२ शय्येषणाध्ययननिरूपणम् ४११ पसिद्धानि देवकुलानि, 'देवकुलाणि वा' देवकुलपार्थावरकरूपाणि 'सहाओ या' सभा वा समागृहाणि, 'पवानि वा' प्रपा वा पानीयशाला 'जाव' पण्यगृहाणि वा पण्यशाला वा यानगहाणि वा यानशाला वा सुघाकान्तानि वा वर्द्धकर्मान्तानि वा वल्कलकर्मान्तानि या श्मशानकर्मान्तानि वा शून्यागारकर्मान्तानि वा, गिरिकान्तानि वा कन्दराकान्तानि या शैलोपस्थापनकर्मान्तानि वा 'भवणगिहाणि' भवनगृहाणि वा, तेषु चागारेषु 'महया पुटवी कायसमारंभेण' महता पृथिवीकायसमारम्भेण एवं 'महया आउतेउवाउवणस्सइ तसकायसमारंभेणं' महता अप्काय तेजस्कायवायुकायवनस्पतिकायत्रसकायसमारम्भेण 'महया सानि-लोह इस्पात के गृहाँ को 'आयतणाणि या' या आरस पत्थरों के गृहों को या आयतनों को 'देचकुलाणि वा' देवकुल-व्यंतरायतनरूप 'सहाओ वा' या सभागृहों को-'पवाणि वा' या प्रपा पानीयशालाओं को 'जाव भवणगिहाणि चा' या यावत् पण्य गृहों को या पण्यशालाओं को या यान रथ बनाने के गृहों को या यान शालाओं को या सुधा चूना बनाने के गृहों को या चर्द्ध चमडे का मशक वरस वगैरह बनाने के गृहों को या वल्कल छाल या छिलका शण वगैरह से बनाये जाने वाले वस्तु पिटारी टोकरी के लिये बनाये गृहों को या दर्भ कुश-डाभ वगैरह से बनाये जाने वाले का चटाई रज्जु वगैरह के निर्मापक गृहों को या श्मशान गृहों को या शून्यागार के रूप में बनाये जानेवाले गृहों को या गिरिपर्वत के ऊपर भागमें बनाये जानेवाले गृहों को था कन्दरा गुफा के अन्दर बनाये जानेवाले घर विशेष को या पत्थर के टुकडों से बनाये जाने वाले मण्डप वगेरह गृहविशेष को या भवनगृहों को वनबा देते हैं और उन उन बनवाये गये अगारों में 'महया पुढवीकायसमारंभेणं' अत्यंत बडे पृथ्वीकाय जीवके समारम्भ से और 'एवं महया आउ-तेउ-चाऊ-वणस्सई-अत्यंत वडे अप्काय-तेजस्काय वायुकाय वनस्पति काय एवं-तसकाय समारंभेणं त्रसकाय जीवों के समारंभ से एवं ५.५२ना गडी अथवा 'आयतणाणि वा' भायतन। म भरि विशेरे गृह। मया 'देवकुलाणि बा' हेयगृहे। अथवा 'सहाओ चा' साडी मया 'पवाणि वा' पानी गई। 'जाव भवणगिहाणि वा' यापत् ५५५ गई। ३५04। ५९याणा। अथवा यान गरी मात રથ વિગેરે બનાવવાના ગૃહે કે યાનશાળાઓ અર્થાત્ ચુને બનાવવાના ગૃહો અથવા ચામડાની મશક વિગેરે બનાવવાના ગૃહો અથવા છાલ કે છેડા અથવા શાણુ વિગેરેથી બનાવવામાં આવનાર ટપલી સાદડી વિગેરે નિર્માણ ગૃહે અથવા સ્મશાન ગૃહે કે શૂન્યાગાર ગૃહે અથવા પર્વતની ઉપરના ભાગમાં બનાવેલ ગૃહે અથવા ગુફામાં બનાવેલા ગહે અથવા પત્થરના કકડાઓથી બનાવવામાં આવતા મંડપાકાર ગૃહે અથવા ભવન ગૃહ मनाची मापे छ. मने ते मनायामा पास गृडमा 'महया पुढवीकायसमारंभे गं' सत्यत मोटर पीय खाना सभा मथी तथा 'एवं महया आउ-तेउ-वाउ वणस्सइ तसकाय श्री सागसूत्र :४
SR No.006304
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1979
Total Pages1199
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size83 MB
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