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________________ १७६ करने से चहाडी चूगली करनेसे. १२० प्र-मुत्र कच्छ फत्ररी कामसे होवें ? उ-राणीयों या परस्त्रीयों से गमन करनेसे. ध्यानकल्पतरू. १२१ प्र - गुंगा कायसे होवें ? उ-झूटी साक्षी दे गुरु को गाली देनेसे, १२२ प्र - सूलरोग कायसे होवें ? उ-पशु पक्षी कों बाण से मारने से सूल काँटे आर चूबानेसे. १२३ प्र - उत्तम जाती का भीख क्यों मांगे ? उमाता, पिता, गुरु को मारें या अपमान करनेसे. १२४ प्र - गुंबडे मस्से ज्यादा क्यों होवें ? उ-पशू पक्षी को पत्थर से मारने से १२५ प्र - चमडी फटे तथा दाद क्यों होवे ? उसांप, बिच्छू, गो खटमल ज्यूं लीख को मारे तो. १२६ प्र - सदा बीमार क्यों रहे ? उ-धर्मादा का खाके धर्म न करेतो. १२७ प्र - पीनस रोग क्यो होवे ? उ-चीडीयो, मयुर, तोते आदी पक्षी मारनेसे. १२८ प्र-कुष्ट रोग कायसे होय ? साधूको संताप देनसे. १२९ - सरीर कायसे धूजे ? उ-रस्ते चलते, वृक्ष त्रण, तोडेतो.
SR No.006299
Book TitleDhyan Kalptaru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherKundanmal Ghummarmal Seth
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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