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________________ .....56-66 .......66-72 . . . . . . . . . . . . . . 15. गृहस्थ-चर्या और भिक्षु-चर्या... (1) गृहस्थवश्रावक का सामान्यजीवन.....................56 (मांसादि-त्याग, अतिथि सत्कारादि,जल छान कर पीना, मृत्यु का निर्मय व निर्विकार होकर वरण) (2) अहिंसक श्रमण-चर्या और संन्यस्तजीवन............... (समता की साधना, निर्दोष मिसाधर्या,गोचरी का अभिप्राय, विकास्वर्धक आहार का त्याग) 17. पर्ववत्यौहार........... (1) दीपावलि पर्व.............. (2) रक्षाबन्धन पर्व........... ...............70 18.मांगलिक द्रव्य औरधार्मिक प्रतीक.................72-80 (1) दोनों परम्पराओं में मंगल द्रव्य........ ..........73 (2) स्वस्तिक......... (3) शंख......................... ............. (4) दर्पण.................. (5) कलश........... (6) पुष्पमाला............ (1) ओंकार.......... 1.प्रमुखसंस्कार/धार्मिक क्रियाएं......... .........80-90 (1) गर्भाधान-सीमन्तोन्नयन एवं गर्भान्चय क्रिया...........84 (2) जातकर्म संस्कार व प्रियोद्भव क्रिया................... (3) नामकरण संस्कार/क्रिया................................85 (4) निष्क्रमण-अन्नप्राशनवबहिर्यान क्रिया.................86 (5) चूडाकर्म संस्कारवकेशवाप क्रिया............... ........... त क ...................................................4 . . . . .......... . . . . . . . . . . . . . . . ............... ..............
SR No.006297
Book TitleJain Dharm Vaidik Dharm Ki Sanskrutik Ekta Ek Sinhavlokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2008
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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