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________________ दिवलो थारो गोवर ग्राम में टांग, जठे गौतमस्वामीजी ज. गौतमम्वामीजी मोटा देव, जो परशन पूछियाजी । ॥ सूरज ॥ (तर्ज : इंगरिया री खिड़कियो राज) निषढ़ पर्वत रे ऊचां ओ रात सूरज भल ऊगिया, केवल पाया आदिनाथ देव, जिन धर्म प्रकाशिया, केवल पाया शान्तिनाथ देव, शान्ति वरताविया । केवल पाया नेमिनाथ देव, पशुव छुडाविया । केवल पाया पार्श्वनाथ देव, नाग-नागनी बचाविया । केवल पाया महावीर स्वामी देव, मेरु कंपाविया । केवल पाया गौतम स्वामी देव, परशन पूछिया। पोढ़या जागो वींद राजा ओ राज सूरज भल ऊगिया । थे तो लेवो अरिहंत रा नाम, सूरज भल ऊगिया । थे तो लेवो थारा माता-पिता रा नाम, सूरज भल ऊगिया। ॥ दांतुण ॥ (तर्ज : उठो नेमीश्वर राज करली, दांतणियां) उठो नेमीश्वर राज करलो दांतणियां, कांई जल भर जारी ओ राज दांतुण केला रो॥ उठो नेमीश्वर राज करलो कलेवो, पीणां तो रोटी ओ राज लचको लूणी को।
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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