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________________ थोड़े दिन तक घर में शोक का वातावरण छाया रहा। सेठ रो-रोकर कहता रहता मेरे दो जवान बेटे उठा लिए भगवान ने। अब संसार में मेरा क्या रखा है, मैं किसलिए जीऊँ? लोगों ने समझाया सेठजी ! जो होना था हो गया। हर शनिश्चर को गाँव नहीं जलता । हर बार ऐसा थोड़े ही होगा। पाँच रत्न एक वर्ष बीत जाने पर एक दिन दूसरे नगर से कुछ लोग आये। बोले सेठजी ! आपके पुत्र. रविकान्त के लिए हमारी कन्या का सम्बन्ध लेकर आये हैं। नहीं भाई ! अब मैं किसी की बेटी को भरी जवानी में विधवा नहीं देखना चाहता। मैं अब अपने पुत्र का विवाह नहीं करूँगा। आखिर बहुत समझाने-बुझाने पर सेठ ने रविकान्त का विवाह किया। परन्तु उसी प्रकार बहू को लेकर सीढ़ियाँ चढ़ते ही तीसरे बेटे को भी साँप ने काट लिया। Cooo Copic PECTES SI 11 30.2103 QOOOO 04 ब ०००००
SR No.006281
Book TitlePanch Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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