SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उदयन और वासवदत्ता चण्डप्रद्योत उटकर एकान्त में आ गया। संकेत से दूत को पास बुलाकर पूछामहारानी का क्या सन्देश है? महाराज ! युद्ध में कौशाम्बी के दुर्ग, शस्त्र, सेना आदि सभी कुछ क्षतिग्रस्त हो गया है। आपके यों लौट जाने पर इसे अनाथ समझकर कोई भी शत्रु राजा आक्रमण कर सकता है। तो महारानी जी क्या चाहती हैं? आप कौशाम्बी की सुरक्षा व्यवस्था को ऐसी सुदृढ़ बना दीजिए कि शत्रु का कोई दाँव नहीं चले। हमारी छत्रछाया में रहे राज्य पर आँख उठाने की हिम्मत, किसमें हैं ? हजारों मजदूर कौशाम्बी के दुर्ग के पुनः निर्माण में जुट BOE चण्डप्रद्योत ने सेनापति को बुलाकर आदेश दियाकौशाम्बी के दुर्ग, प्राचीर आदि का पुनः निर्माण कर अभेद्य और सुसज्जित बना दो। गये। महारानी जी यह समझती हैं, परन्तु आप तो बहुत दूर हैं, शत्रु चारों तरफ बैठा है। स्वामीहीन घर में चोरों को घुसते क्या देर लगेगी ? सांप घर में बैठा हो तो हिमालय की जड़ी क्या काम आयेगी ? tow 3 3 0 U 0
SR No.006280
Book TitleUdayan Vasavdatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy