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________________ प्रकाशकीय "श्री भिक्षु महाकाव्यम्" एक ऐसे कालजयी प्रज्ञापुरुष का जीवन दर्शन है जो सत्य के लिए जीया और सत्य की साधना करते-करते मरकर अमर बन गया । तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रणेता आचार्य भिक्षु इस महाकाव्य मुख्य नायक हैं । इसमें उनका सम्पूर्ण जीवनवृत्त, सिद्धांत, मर्यादा, अनुशासना, आचार संहिता, एकतंत्र में लोकतंत्र की प्रतिष्ठापना तथा वीतरागता की ओर प्रस्थित मुमुक्षु आत्माओं का प्रेरणा पाथेय हिन्दी अनुवाद सहित संस्कृत भाषा में गुंफित है । यह महाकाव्य उनके कर्त्तव्य पथ की कीर्तिगाथा है । शासन स्तम्भ मुनि नत्थमलजी ( बागोर ) द्वारा रचित इस महाकाव्य को प्रकाशित करने का सुअवसर पाकर जैन विश्व भारती प्रसन्नता का अनुभव कर रही है । इस महाकाव्य के अठारह सर्ग हैं । प्रथम दस सर्गों से समन्वित यह प्रथम खंड पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है । शीघ्र ही दूसरा भाग प्रकाशित होकर आप तक पहुंचेगा । आशा है श्रद्धा और निष्ठा के केन्द्र आचार्य भिक्षु का यह जीवनवृत्त तथा दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण सुधी पाठकों लिए स्वाध्याय के साथ आत्मविकास का प्रेरक बनेगा | महावीर जयन्ती, १९९७ हनुमानमल चिण्डालिया मंत्री जैन विश्व भारती, लाडनूं
SR No.006278
Book TitleBhikshu Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Nagrajmuni, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages350
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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