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________________ आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ... 71 आदिति मुद्रा विधि इस मुद्रा की अर्थवत्ता का अहसास करने के लिए सुखासन में बैठें। फिर अंगूठे के अग्रभाग को अनामिका अंगुली के मूल भाग पर रखें तथा शेष चारों अंगुलियों को एक-दूसरे के समीप सीधी रखने से आदिति मुद्रा बनती है। सुपरिणाम • शारीरिक दृष्टि से जिन्हें सुबह उठते ही एक साथ बहुत छींक आती हो या छींक सम्बन्धी कोई तकलीफ हों तो इस मुद्राभ्यास से दूर होती है। अध्यात्म दृष्टि से इस मुद्रा पूर्वक सत्संग (धर्मश्रवण) किया जाये तो अधिक लाभ होता है। • साधना करते समय उबासी या छींक से विक्षेप होता हो तो इससे दूर होता है इस मुद्रा में ध्यान करने से निश्चित सफलता मिलती है। जैन तीर्थंकर की अधिकतर प्राचीन प्रतिमाएँ इस मुद्रा में पायी जाती है इसलिए इसे मतान्तर से तीर्थंकर मुद्रा भी कहते हैं । एक्युप्रेशर चिकित्सकों के अनुसार यह मुद्रा काम ग्रन्थियों एवं पेशाब ·
SR No.006258
Book TitleAdhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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