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________________ 70... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? स्वरतंत्र, कान, नाक, गला, मुँह आदि। • तंत्र विज्ञान के अनुसार इस मुद्रा का सर्वाधिक उपयोग जाप, उपासना, यज्ञानुष्ठान आदि के निमित्त किया जाता है। ग्रन्थों में यज्ञ करते हुए तीन प्रकार की मुद्राओं से आहूति देने का निर्देश है। उन मुद्राओं के नाम ये हैं1. मृगी 2. वराही (सूकरी) और 3. हंसी मुद्रा। ___ मृगी मुद्रा यज्ञ की प्रधान मुद्रा है। शुभ कर्मों के अनुष्ठान में जिन यज्ञों का विधान है उनमें सर्वाधिक मृगी मुद्रा का ही प्रयोग किया जाता है। इस मुद्रा में मध्यमा और अनामिका अंगुली के मध्य में अंगुष्ठ के अग्रभाग को स्पर्शित करते हैं जिससे हाथ का आकार मृग के मुख के समान हो जाता है। मृगी मुद्रा द्वारा दी गई आहुति से सात्त्विक देवता शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। अनुष्ठान का जैसा संकल्प हो, तदनुरूप ही मुद्राओं का प्रयोग जपात्मक अथवा होमात्मक यज्ञों में करना चाहिए। • एक्यूप्रेशर के अनुसार निर्दिष्ट अंगुलियों में दाँत एवं सायनस के बिन्दू हैं। इन पर दबाव पड़ने से सर्दी के दोषों का शमन होता है और दाँत का दर्द मिट जाता है। अंगूठे के अग्रभाग पर दबाव होने से सर्दी, सिरदर्द और तनाव कम होता है। 12. आदिति मुद्रा ____ आदिति शब्द देवी-देवता का वाचक है। सामान्य तौर पर इस मुद्रा का उपयोग देवी-देवता के सन्दर्भ में किया जाता है। यदि दोनों हाथों को समीप रखकर यह मुद्रा बनाई जाए तो वह किंचित अन्तर के साथ जैन परम्परा में मान्य आह्वान मुद्रा के समान है तथा उस मुद्रा को उल्टा कर दिया जाए तो स्थापना मुद्रा बनती है। जैन परम्परा में आह्वान मुद्रा के माध्यम से देवी-देवता को आह्वान (आमन्त्रित) किया जाता है और स्थापना मुद्रा से देवी-देवता अथवा प्रभु प्रतिमा की स्थापना की जाती है। आदिति मुद्रा के सम्बन्ध में भी यही उल्लेख किया गया है। अंजलि पूर्वक आकार में यह मुद्रा भी देवी-देवता के आमंत्रण एवं स्थापन में प्रयुक्त होती है। इस चर्चा से ज्ञात होता है कि इस मुद्रा का प्रयोग परमार्थत: देवीय (परमात्म) शक्ति को अर्जित करने एवं सुप्त देवीय तत्त्व को उजागर करने के उद्देश्य से किया जाता है।
SR No.006258
Book TitleAdhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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