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________________ भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की... ...31 7. उदासीनता 8. यशोदा संग परिणय बंधन 8. पुत्र राहुल का जन्म 10. विषय भोगों के प्रति वैराग्य 11. संसार त्याग और 12. छ: वर्ष की कठोर साधना के अनन्तर बोधि वृक्ष के नीचे परम ज्ञान की प्राप्ति । शाक्य मुनि को जिस दिन आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई उसके बाद से ही वे बुद्ध कहलाने लगे। बुद्ध की शिक्षाएँ मौखिक रूप में थी अतः उनके कोई भी लिखित अवशेष नहीं मिलते। उनकी प्ररूपणा संसार, पुनर्जन्म और कर्म पर आधारित थी। चार आर्यसत्य, आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद (दुःख परम्परा) के 12 कारण आदि बुद्ध के मूलभूत सिद्धान्त और उपदेश थे। चार आर्यसत्य बौद्धधर्म की नींव हैं, इन एक - एक आर्यसत्य पर एक-एक स्वतन्त्र प्रबन्ध लिखा जा सकता है। चार आर्यसत्य ये हैं- 1. दुःख 2. दुःख समुदय (तृष्णा) 3. दु:ख निरोध (निर्वाण ) और 4. दु:ख निरोधगामिनी प्रतिपद् (आर्य अष्टाङ्गिक मार्ग) | अष्टाङ्गिकमार्ग के नाम ये हैं- 1. सम्यग्दृष्टि 2. सम्यक संकल्प 3. सम्यक वाक् 4. सम्यक कर्मान्त 5. सम्यक आजीव 6. सम्यक व्यायाम 7. सम्यक स्मृति और 8. सम्यक समाधि। उक्त अष्ट मार्ग भी अनेक भेद-प्रभेदों के साथ कहे गये हैं। प्रतीत्य समुत्पाद के 12 कारण निम्न हैं- 1. अविद्या 2. संस्कार 3. विज्ञान 4. नामरूप 5. षडायतन 6. स्पर्श 7. वेदना 8. तृष्णा 9. उपादान 10. भव 11. जाति और 12. जन्म-मरण । इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध ने ध्यान, विपश्यना, निर्वाण आदि कई विषयों पर व्याख्याएँ प्रस्तुत की। बौद्ध धर्म कई सम्प्रदायों में विभाजित है जिसमें हीनयान एवं महायान मुख्य हैं। इन दोनों परम्पराओं में आज भी प्रचुर मात्रा में कर्मकाण्ड प्रधान क्रियाएँ होती है। उन क्रियाओं के अन्तर्गत पूजोपासना करते समय अल्तर नाम की एक टेबल रखी जाती है, जिस पर सम्पूर्ण पूजा सामग्री रखते हैं। इस अल्तर के ऊपर सबसे पहले काष्ठ या धातु से निर्मित अष्टमंगल रखते हैं, अष्टमंगल के पीछे अथवा Side में सप्तरत्न रखे जाते हैं। इनके अग्रभाग में रजत या पीतल के सात प्यालों में चढ़ाने योग्य पूजा सामग्री रखी जाती है। प्रथम दो प्यालों में पानी, तीसरे में पुष्प, चौथे में सुगंधित धूप आदि द्रव्य, पाँचवें में
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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