SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय-2 भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ इस विश्व में प्रचलित धर्म-परम्पराओं में बौद्ध धर्म का अपना गरिमामय स्थान है। आज एक बड़ा तबका बौद्ध धर्म का अनुयायी माना जा सकता है। भारत में प्रचलित श्रमण संस्कृति जैन और बौद्ध इन द्विविध परम्पराओं में विभक्त हैं। बौद्ध धर्म का उद्भव यद्यपि भारत में हआ है, किन्तु इस वर्ग के अनुयायी अन्य देशों में भी देखे जाते हैं। जैन धर्म की भाँति इसकी शिक्षा भी व्यक्ति को अध्यात्म की ओर ऊर्ध्वारोहित करती है। बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि-बौद्ध संघ का मूल मन्त्र है। इस धर्म परम्परा में भगवान बुद्ध, उनके द्वारा प्रस्थापित धर्म और धर्म संघ इन तीनों की प्राप्ति होने को पुण्य माना गया है। भारत देश में लगभग मनुष्य जाति का एक तिहाई वर्ग बुद्ध के विचारों का समर्थक और अनुपालक है। ___बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म संभवत: ईसा पूर्व छठवीं शती के अन्त में हुआ था। महाराजा शुद्धोदन और महारानी माया के पत्र आपका नाम सिद्धार्थ था। राजा शुद्धोदन गौतम गौत्रीय एवं शाक्य जाति के थे अत: सिद्धार्थ भी गौतम और शाक्य मुनि कहलाए। बौद्ध साहित्य के अनुसार शाक्य मुनि (बुद्ध) का जीवन चित्रण कहीं भी उपलब्ध नहीं होता, उसे जातक कथाओं आदि के आधार पर द्वादश भागों में विभाजित किया गया है वह संक्षिप्त शब्दों में इस प्रकार है- 1. बुद्ध का स्वर्ग से धरती पर श्वेत हाथी के रूप में अवतरण 2. रानी माया के गर्भ में उसका प्रवेश 3. बुद्ध का जन्म 4. जन्म अवसर पर ब्रह्मा, इन्द्र एवं अन्य देव-देवियों द्वारा उनका अभिवादन 5. भगवान बुद्ध का अतिन्द्रिय ज्ञान 6. संसार विरक्ति
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy