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________________ 64... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन रक्त संचरण का नियंत्रण करते हुए यह मुद्रा शारीरिक संतुलन बनाए रखने में भी विशेष उपयोगी है। • इसका प्रभाव स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र पर पड़ता है। इससे नाभि सम्बन्धी समस्याओं का समाधान, जिह्वा पर सरस्वती का वास तथा नियंत्रण शक्ति में विकास होता है। यह वक्तृत्व, कवित्व, इन्द्रिय नियंत्रण आदि का भी विकास करती है। • गोनाड्स एवं थायमस ग्रंथियों पर इस मुद्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है। नाभि खिसकने पर, काम ग्रंथियों में गड़बड़ी होने पर, बालकों में जड़ता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने पर यह मुद्रा लाभ पहुँचाती है। 20. पेंग पलेलै मुद्रा (पलेलयक जंगल दर्शाने की मुद्रा) थायलैण्ड निवासी बौद्ध परम्परा के अनुयायी इस मुद्रा को धारण करते हैं। भारत में इस मुद्रा का नाम अंचित निद्रातहस्त मुद्रा है। भगवान बुद्ध की जीवन घटना सम्बन्धी 40 मुद्राओं में से यह बीसवीं मुद्रा है। इसे पलेलयक जंगल की सूचक माना गया है। संभवत: भगवान बुद्ध ने अपनी जीवन साधना का अधिकांश समय पलेलयक अरण्य में बिताया होगा अथवा उन्होंने इस क्षेत्र में पेंग्-पलेले मुद्रा
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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