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________________ x...हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में आपको जनप्रिय बनाया है। मानव सेवा एवं शासन प्रभावना में आपकी विशेष रुचि है। चारों दादा गुरुदेव एवं उनके पुण्य प्रभावी तीर्थ स्थलों के प्रति आपका विशेष भक्ति भाव है। प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपके द्वारा किसी न किसी दादाधाम में रात्रि जागरण एवं भक्ति संध्या का भव्यातिभव्य आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में आपकी भावना अच्छे से अच्छे कलाकारों को बुलाने की रहती है। इस भक्ति आयोजन को देखने के लिए देश के अनेक स्थानों से हजारों लोग विशेष रूप से उपस्थित होते हैं। इस अवसर पर आप जयपुर से संघ लेकर भी जाते हैं। आपकी वैचारिक पारदर्शिता, दूरदृष्टि एवं समन्वय वृत्ति के कारण विविध सामाजिक संस्थानों एवं धर्मस्थानों के द्वारा आपको सर्वोच्च पद संभालने का आग्रह सदा ही किया जाता है परंतु आप प्रायः इन सभी से दूर रहते हुए नि:स्वार्थ भाव से श्री संघ को अपनी अमूल्य सेवाएं प्रदान करने की भावना रखते हैं। आप वर्तमान विकसित संसाधनों के साथ धर्म साधनों का समन्वय कर आज के युवा वर्ग अर्थात भावी भविष्य को अंतरमन पूर्वक धर्म से जोड़ने की भी भावना रखते हैं। श्राविका रत्ना श्रीमती विमलाजी अपने नाम के अनुसार अत्यन्त निर्मल हृदयी एवं तद्प स्वभाव वाली है। उन्हीं के विमल स्वभाव ने सुपुत्र विजय एवं सुपुत्री अंजली को आज अपने समान बनाया है। पूज्या हेमप्रभा श्रीजी म.सा. के प्रति आपकी प्रगाढ़ श्रद्धा है। उनसे आपको मातृवत स्नेह की प्राप्ति हुई और आपने भी उन्हें हृदय पूर्वक गुरु स्थान दिया। पूज्या शशिप्रभा श्रीजी म.सा. सन् 2007 के जयपुर प्रवास एवं चातुर्मास के दौरान आपका पूज्या श्री से विशेष परिचय हुआ। चातुर्मासिक आयोजनों के समय विदुषी साध्वी सौम्यगुणा श्रीजी से आपकी गहरी निकटता हुई और तभी से आप सतत उनके सम्पर्क में रहते हैं। साध्वी सौम्याजी को अध्ययन आदि के क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने हेतु सदैव प्रोत्साहित करते रहते हैं। सज्जनमणि ग्रन्थमाला आपके जीवन की हार्दिक-हार्दिक अनुमोदना करता है तथा आप इसी प्रकार निरपेक्ष भाव से आत्मोत्थान के मार्ग पर अग्रसर रहें और जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करें, यही शुभाशंसा...
SR No.006255
Book TitleHindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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