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________________ मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...295 क्षुर मुद्रा सुपरिणाम • क्षुर मुद्रा धारण करने से मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र जागृत होता है। इससे अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, क्षमा आदि में उत्तरोत्तर प्रगति होती है। • यह मुद्रा संकल्प शक्ति एवं पराक्रम में वृद्धि करती है। • भौतिक स्तर पर यह मुद्रा गला, मुँह, नाक, कान आदि की समस्या, शरीर में दुर्गन्ध, फोड़े-फुन्सी, मधुमेह, पाचन समस्या आदि में लाभकारी है। - • यह मुद्रा अग्नि एवं वायु तत्त्व को संतुलित करते हुए शरीरस्थ अग्नियों को जागृत एवं ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन करती है। पाचन एवं रक्त संचरण के कार्य को नियमित करती है। • थायरॉइड, पेराथायरॉइड, एड्रीनल आदि ग्रंथियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शरीर के सभी अंगों में शक्ति उत्पन्न करती है। हड्डियों के विकास एवं घाव भरने में सहायक बनती है। स्वभाव, आवाज, व्यवहार आदि के नियंत्रण में भी सहयोगी है।
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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