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________________ प्रतिष्ठा सम्बन्धी आवश्यक पक्षों का मूल्यपरक विश्लेषण ...33 मण्डप भूमि कैसी हो? जहाँ मण्डप का निर्माण करना हो वह भूमि स्वाभाविक रूप से शुद्ध, हड्डी आदि शल्य से रहित, मल-मूत्र आदि अपवित्र वस्तुओं से रिक्त और आमिषभोजी निवास स्थानों से दूर होनी चाहिए। प्रतिष्ठा उत्सव से पूर्व ही उक्त लक्षण वाली भूमि देखकर मण्डप हेतु निश्चित कर लेनी चाहिए। ____ मण्डप भूमि कहाँ हो? जहाँ तक संभव हो प्रतिष्ठा मंडप की भूमि जिनालय के सामने (पूर्व दिशा में) होनी चाहिए। यदि जिनालय के सम्मुख पर्याप्त भूमि न मिले तो मन्दिर के दाहिनी ओर (उत्तर दिशा में) पूर्वोक्त लक्षण वाली भूमि का शोधन कर वहाँ मंडप बनवाना चाहिए, परन्तु जिनालय के पृष्ठ भाग में कभी भी मंडप नहीं बनवाना चाहिए। ___ मण्डप के प्रकार- आचार्य पादलिप्तसूरि ने बिम्ब प्रतिष्ठा के निमित्त दो मण्डप बनाने का निर्देश किया है- 1. अधिवासना मंडप (प्रतिष्ठा मंडप) और 2. स्नान मंडप। वर्तमान में तीन मण्डपों की रचना की जाती है- 1. प्रतिष्ठा मंडप 2. स्नान मंडप और 3. सभा मंडप। इन तीनों मंडपों के लिए जो भूमि पर्याप्त हो उसे ही मंडप के लिए योग्य मानना चाहिए। स्नान मंडप प्रतिष्ठा मंडप से पूर्व या ईशान दिशा में बनवाना चाहिए और सभा मंडप की रचना उसके सम्मुख करवानी चाहिए। प्रतिष्ठा मंडप में नवीन बिम्बों की अधिवासना आदि विधियाँ और महापूजन आदि अनुष्ठान सम्पन्न करते हैं। सभा मंडप में पंच कल्याणक महोत्सव, प्रवचन आदि कार्यक्रम किये जाते हैं। 5. वेदिका रचना- जिन प्रतिमाओं को विराजमान करने का ऊँचा स्थान वेदिका कहलाता है। संस्कृत कोश के अनुसार उच्च समतल भूमि एवं आंगन के बीच में बना चबूतरा वेदी कहा जाता है। यहाँ प्रस्तुत अर्थ भी इष्ट है। प्राचीन काल में मंडप के अनुसार वेदिका का निर्माण किया जाता था, परन्तु आज यह पद्धति प्रचलित नहीं है। आधुनिक प्रतिष्ठाकल्पों में तीन हाथ परिमाण समचौरस और डेढ़ हाथ प्रमाण ऊँची वेदिका निर्मित करने का विधान है किन्तु इस सिद्धान्त का अनुकरण भी नहींवत किया जाता है। __ वेदिका कैसी हो? यदि मंडप समचौरस हो तो वेदिका भी चौरस बनवाई जाती है और यदि मंडप उत्तर-दक्षिण दिशा में लम्बा हो तो वेदिका भी उत्तर
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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