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________________ प्रतिष्ठा विधानों के अभिप्राय एवं रहस्य ...533 प्रतिष्ठा कार्यों में उत्तम वस्त्रों का परिधान क्यों? ___आचार्य हरिभद्रसूरि कहते हैं कि जिनबिम्ब प्रतिष्ठा के निमित्त शरीर शोभा के लिए सुन्दर वस्त्रों को धारण करना आदि शुभ कर्मबंध का कारण जानना चाहिए, क्योंकि इससे 1. उत्तम पुरुषों के प्रति बहुमान प्रकट होता है, 2. तीर्थंकरों का सम्मान होता है, 3. प्रभु आज्ञा का पालन होता है, 4. शास्त्रोक्त होने से शुभ प्रवृत्ति होती है, 5. प्रतिपल कर्मों का क्षयोपशम होने से आत्मा निर्मल होती है और 6. जिन आज्ञा पालन करते हुए शरीर शोभा करने से आसक्तिभाव न्यून होता है। इस प्रकार शुभ प्रसंगों में सुन्दर वस्त्र पुण्यबन्ध में कारणभूत हैं। अधिवासना के समय उत्कृष्ट पूजा क्यों? पंचाशक प्रकरण के अनुसार अधिवासना करते समय चन्दन, कपूर, पुष्प आदि उत्तम द्रव्यों; मूलिका वर्ग, अक्षत आदि मंगल औषधियों; नारियल आदि फलों; वस्त्र, सुवर्ण, मोती, रत्न आदि विविध प्रकार के उपहारों, इत्र आदि सुगन्धित पदार्थों, दूसरी वस्तुओं को भी सुगन्धित बनाने वाले विविध चूर्णों और भक्ति भाव वाली उत्तम रचनाओं जिनके द्वारा जिनेश्वर के अतिशय को प्रकट किया जा सके उन्हें अर्पित कर जिनबिम्ब की उत्कृष्ट पूजा करनी चाहिए। _इसका मुख्य आशय यह है कि उत्कृष्ट पूजा मुख्य मंगल रूप है। इस मंगल के द्वारा प्रतिष्ठित जिनबिम्ब का सत्कार उत्तरोत्तर बढ़ता है, क्योंकि मुख्य मंगल उत्तरोत्तर सत्कार वृद्धि का कारण है इसलिए उत्कृष्ट पूजा अवश्य करणीय है।' प्रतिष्ठा विधि सम्पन्न होने पर कौन-कौन से मांगलिक विधान किए जाते हैं और क्यों? ____ पंचाशकप्रकरण, निर्वाणकलिका, श्रीचन्द्रसूरिकृत प्रतिष्ठाकल्प, विधिमार्गप्रपा आदि ग्रन्थों के मतानुसार प्रतिष्ठा होने के पश्चात प्रतिष्ठित जिनबिम्ब की पुष्प आदि से पूजा करना चाहिए। चतुर्विध संघ को चैत्यवन्दन करना चाहिए, उपसर्गों की शान्ति के लिए श्रुतदेवता, प्रतिष्ठादेवता आदि का कायोत्सर्ग करना चाहिए, शक्रस्तव और शान्तिस्तव का पाठ करना चाहिए, फिर अखण्ड अक्षतों से अंजलि भरकर उपस्थित सकल संघ के साथ पर्वत, द्वीप, समुद्र आदि की उपमा वाली सिद्धों की स्तुति करते हुए मंगल गाथाएँ
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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