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________________ 448... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन यहाँ प्रश्न होता है कि तीर्थंकर परमात्मा का शरीर जन्मत: निर्मल, सुगन्धित एवं अशुचि रहित होता है फिर उनका अभिषेक क्यों? और उसी का प्रतिरूप होने से जिन प्रतिमा का भी अभिषेक क्यों? यह सत्य है कि परमात्मा का देह समस्त प्रकार की मलिनताओं से रहित होता है इस कारण जन्म अशुचि के निवारणार्थ प्रभु का अभिषेक करना घटित नहीं होता। परन्तु जैन धर्म में व्यवहार और निश्चय उभय पक्षों की प्रधानता है। इसी सिद्धान्त के अनुसार तीर्थंकर परमात्मा जैसे उत्तम जीवों का अशुचि निवारण किया जाता है। जन्म कल्याणक मनाते समय इन्द्रादि देवगण बाह्य रूप से भगवान की देह शुद्धि एवं भावों से स्वयं के कर्ममल दूर करते हैं। इस भक्ति के फलस्वरूप उपस्थित देवी-देवता अनन्त पुण्योपार्जन भी करते हैं। गृहस्थ श्रावक को अभिषेक क्रिया करते समय 'तीर्थंकर परमात्मा का जन्म कल्याणक मना रहा हूँ' ऐसा भाव रखना चाहिए। गृहस्थजन देवी-देवताओं के समान 108 नदियों के जल आदि लाने में समर्थ न होने से 18 प्रकार की औषधियों एवं कुछ तीर्थ जलों आदि के द्वारा अभिषेक करते हैं। • अठारह अभिषेक का दूसरा हेतु यह कहा जा सकता है कि जिनबिम्ब औदारिक पुद्गल रूप होने से गृहस्थ के अनुपयोग अथवा मलीन परिणामों के कारण यदि उनमें किसी भी प्रकार की अशुद्धि का संचय हो गया हो तो उसे प्रभावी औषधियों के द्वारा दूर किया जाता है। • अठारह अभिषेक में प्रयुक्त औषधियों के प्रभाव से पत्थर में कोई आंतरिक दोष हो तो वह भी प्रकट हो जाता है। इससे पर्यावरण शुद्ध एवं सुगंधित भी होता है। वर्तमान में जिनालय, जिनबिम्ब एवं वातावरण शुद्धि की अपेक्षा से यह विधान किया जाता है। • औषधि सम्मिश्रित जलाभिषेक से अभिषेक कर्ता के शारीरिक मलों एवं विकृतियों की शुद्धि भी होती है। आध्यात्मिक क्षेत्र में शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि महत्त्वपूर्ण है। • यह क्रिया प्रभु सामीप्य की अनुभूति करने एवं आत्म दोषों से मुक्त होने के लिए भी की जाती है। • इस क्रिया से प्रतिमा की कान्ति बढ़ती है। यह अनुष्ठान अभिषेककर्ता के जीवन की सुकुमारता और कान्ति में भी वृद्धि करता है।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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