SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 504
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 438... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन रीति से एक सुगन्धी पुष्पमाला का आरोपण करें। • उसके बाद स्नात्र जल को कलशों में भरकर कुंडी के मध्य भाग में जल धारा गिरे उस प्रकार कलश से जलधारा प्रारम्भ करें। • जल धारा प्रारम्भ करते समय 'नमोऽर्हत्' कहकर आचार्य भगवन्त नवकार महामन्त्र और बृहत् शान्तिस्तव बोलें। बड़ी शान्ति पूर्ण होने के पश्चात पुनः एक नमस्कार मन्त्र गिनें तब तक स्नात्र जल की कुंडी में पड़ती अखंड धारा चालू रहे। • तदनन्तर अष्ट मंगल रचित कलश के उदर भाग पर 'ॐ श्रीँ सर्वोपद्रवान् नाशय नाशय स्वाहा' यह मन्त्र लिखें। • फिर कलश के कंठ भाग पर अभिमन्त्रित मींढल बांधें। कलश के अन्दर चतुष्कोण वाली सोना-चाँदी की मुद्रा और सुगंधी पुष्प डालें। फिर कुण्डी में से शान्ति कलश के जल को कुंभ में डालते हुए उसे छलाछल भर दें। • यदि जवारा उगे हुए हो तो उस सकोरे की मिट्टी को तीन बार नवकार मन्त्र के स्मरण पूर्वक कुंभ के मुख ऊपर स्थापित करें। यदि जवारा उगे हुए न हो तो जल पूरित कुंभ के कण्ठ तक डंडी रह सकें उस प्रकार नागरवेल के चार पत्ते चारों तरफ एक-एक करके रखें। उसके बीच में श्रीफल की स्थापना करें। उसके ऊपर हरा रेशमी वस्त्र ढककर उसे अभिमन्त्रित मौली से अच्छी तरह बांधें। उसके ऊपर केसर-चंदन के रस का लेप करके बरक लगाएँ। फिर उसके ऊपर केसर के छांटने करें। सुगंधी पुष्प की माला कुंभ - श्रीफल पर रह सके उस रीति से पहनाएं। • तत्पश्चात कुंवारी कन्या अथवा सौभाग्यवती नारी के मस्तक पर रत्नजड़ित सुवर्ण की इंडोनी रखकर तीन बार नवकार मन्त्र का स्मरण करते हु इंडोनी के ऊपर कुंभ रखें। फिर थाली और वाजिंत्र बजाते हुए तथा मंगल गीत गाते हु जिनेश्वर परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा दिलवाएँ। • उसके बाद मूलनायक भगवान के दाहिनी तरफ तीन बार नवकार महामन्त्र का स्मरण कर श्री शान्ति कलश की स्थापना करें। फिर आचार्य भगवन्त श्वॉस रोकर ‘ॐ ह्रीँ श्रीँ ठः ठः ठः स्वाहा' इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए कलश के ऊपर वासचूर्ण डालें तथा श्रीसंघ कुसुमांजलि से बधाएँ। फिर देववन्दन और क्षमायाचना करें | ।। इति शान्ति कलश विधि ।।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy