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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...369 इसके बाद निम्न मंत्रपूर्वक तीन बार पुष्पांजलि क्षेपण करेंॐ ह्यये सकलसत्वालोककर अवलोकय भगवन अवलोकय स्वाहा। • उसके बाद परदे को हटाकर सर्व संघ एकत्रित होवें तथा गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, वस्त्र एवं अलंकार द्वारा समस्त प्रकार की महापूजा करें। तत्पश्चात मातृशाटिका और कंकण का आरोहण करें। इसी क्रम में मोरण्डा , सुकुमारिका आदि नैवेद्य चढ़ाएं। लूण-राई एवं आरती उतारें। • फिर निम्न मंत्र पूर्वक बिम्ब के आगे भूतबलि दें __ॐ ह्यये भूतबलिं जुषन्तु स्वाहा। भूतबलि अभिमन्त्रण मन्त्र यह है • तत्पश्चात गुरु भगवन्त संघ के साथ चैत्यवंदन करें। फिर श्रुत देवी, शान्ति देवता, क्षेत्र देवता, अम्बिका देवी, समस्त वैयावृत्यकर देवों की आराधनार्थ कायोत्सर्ग एवं स्तुति दान पूर्ववत करें। फिर प्रतिष्ठा देवता के आराधनार्थ कायोत्सर्ग करके निम्न स्तुति बोलें यदधिष्ठिताः प्रतिष्ठाः सर्वा, सर्वास्पदेषु नन्दन्ति। श्री जिन बिम्बं सा विशतु, देवता सुप्रतिष्ठमिदम् ।। तत्पश्चात नमस्कारमन्त्र पूर्वक शक्रस्तव बोलकर शान्तिस्तव बोलें। • उसके बाद अखण्ड अक्षतों से अंजलि भरकर उपस्थित सकल संघ आचार्य भगवन्त के साथ 'नमोऽर्हत्' पूर्वक मंगल गाथाओं का पाठ करें और अन्त में बधाएं। मंगल गाथाएँ जह सिद्धाण पइट्ठा, तिलोयचूडामणिम्मि सिद्धिपए । आचंदसूरियं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठ ति ।।1।। जह सग्गस्स पइट्ठा, समत्थलोयस्स मज्झियारम्मि ।आचंद.।।2।। जह मेरुस्स पइट्ठा, दीवसमुद्दाण मज्झियारम्मि ।आचंद.।।3।। जह जम्बुस्स पइट्ठा, जंबुद्दीवस्स मज्झियारम्मि ।आचंद.।।4।। जह लवणस्स पइट्ठा, समत्थउदहीण मज्झियारम्मि ।आचंद.।।5।। • तत्पश्चात आचार्य अष्टाह्निका महोत्सव की महिमा बताएं। प्रतिष्ठा के लाभार्थी अथवा सकल श्रीसंघ गुरु को वस्त्र, पात्र, पुस्तक, वसति आदि प्रदान करें। सभी साधुओं को वस्त्र एवं अन्न का दान दें, संघ की पूजा करें, स्नात्र
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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