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________________ 368... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कान में सात बार सूरिमंत्र का न्यास करें। • फिर प्रतिष्ठा मंत्र के द्वारा चक्र मुद्रा से प्रतिमा के सभी अंगों का तीन, पाँच या सात बार स्पर्श करें। प्रतिष्ठा मंत्र निम्न है - ॐ वीरे वीरे जयवीरे सेणवीरे महावीरे जये विजये जयन्ते अपराजिए ॐ ह्रीं स्वाहा । • फिर दही का पात्र चढ़ाएं, दर्पण दिखाएं, शंख का दर्शन करवाएं। फिर दृष्टि की रक्षा एवं सौभाग्य के स्थिरीकरण के लिए निम्न पाँच मुद्राओं का दर्शन करवाते हुए निम्न मंत्र का सर्वांगों पर न्यास करें मुद्राएँ - 1. सौभाग्य मुद्रा 2. परमेष्ठी मुद्रा 3. सुरभि मुद्रा 4. प्रवचन मुद्रा 5. गरुड़ मुद्रा । B न्यास मन्त्र- ॐ अवतर अवतर सोमे सोमे कुरु कुरु ॐ वग्गु-वग्गु निवग्गु सुमणसे सोमणसे महुमहुरे ॐ कविल कक्षः स्वाहा । • तत्पश्चात चार सौभाग्यवती स्त्रियाँ जिनबिम्ब को धान्य से बधाएँ। यथाशक्ति सुवर्ण दान दें। • तदनन्तर कुम्भकार के द्वारा प्रतिमा के नीचे पहले से ही चाक की मिट्टी युक्त घी से लिपटी हुई बत्ती, पंचरत्न और चन्दन मिश्रित चावल रख दिए जाएं। वहाँ स्थिरीकरण मंत्र से प्रतिमा को स्थिर करें। स्थिरीकरण मंत्र - ॐ स्थावरे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा । • चल प्रतिष्ठा में इस प्रकार की विधि नहीं होती है। उस समय कुम्भकार चल प्रतिमा के नीचे बायीं तरफ चाक की मिट्टी एवं जिसका ऊपरी भाग कटा हुआ न हो ऐसी दूब रखते हैं। फिर प्रतिष्ठा के समय चल प्रतिमा पर निम्न मंत्र का न्यास करते हैं - 'ॐ जये श्रीं ह्रीँ सुभद्रे नमः ।' • तत्पश्चात पद्ममुद्रा एवं निम्न मंत्र पूर्वक रत्नासन की स्थापना करें - इदं रत्नमयमासनमलं कुर्वन्तु इहोपविष्टा । भव्यानवलोकयन्तु, हृष्टदृष्टयादि जिना: स्वाहा । । • फिर निम्न मंत्रपूर्वक गन्ध, पुष्प एवं धूप का दान करें ॐ ह्मये गन्धान्यः प्रतीच्छन्तु स्वाहा । ॐ ह्यये पुष्पाणि गृह्णान्तु स्वाहा । ॐ ह्मये धूपं भजंतु स्वाहा।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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