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________________ प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...353 ॐ इन्द्राग्नियनैऋतवरुणवायुकुबेरेशाननागब्रह्म लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपाला इह जिनपादाग्रे समायान्तु, पूजां प्रतीच्छन्तु। • फिर निम्न मंत्र बोलते हुए दिक्पाल पट्ट की अष्ट द्रव्य से पूजा करें1. आचमनमस्तु 2. गन्धोऽस्तु 3. पुष्पमस्तु 4. अक्षतोऽस्तु 5. फलमस्तु 6. नैवेद्यमस्तु 7. धूपोऽस्तु 8. दीपोऽस्तु। • फिर निम्न मंत्र कहते हुए पूर्ववत दिक्पालों पर पुष्प चढ़ायें___ ॐ सूर्यसोमाङ्गारकबुधगुरुशुक्रशनैश्चरराहुकेतुप्रमुखा ग्रहाः सुपूजिताः सन्तु, सुग्रहाः सन्तु, पुष्टिदाः सन्तु, तुष्टिदाः सन्तु, मंगलदाः सन्तु, महोत्सवदा सन्तु। • तदनन्तर मध्यम देववन्दन करें। इसी क्रम में शान्तिनाथ, श्रुत देवता, शान्ति देवता, समस्त वैयावृत्यकर देवता की आराधना निमित्त कायोत्सर्ग करते हुए उनकी स्तुतियाँ बोलें। फिर जल देवता के निमित्त एक नवकार मन्त्र का कायोत्सर्ग कर निम्न स्तुति कहें मकरासनमासीनः, शिवाशयेभ्यो ददाति पाशशयः । आशामाशापालः किरतु, च दुरितानि वरुणो नः ।। फिर नमुत्थुणं यावत जयवीयराय सूत्र कहें। • फिर सभी कलशों के कण्ठ में ग्रीवा सूत्र बांधे। फिर अभिमन्त्रित वासचूर्ण एवं केशर के छींटे डालें। स्नात्रकार न्यास- तत्पश्चात जल के समीप कुंभ स्थापित कर स्नात्रकार श्रावकों का इस प्रकार न्यास करें • निम्न मंत्र तीन बार कहकर आचमन करें ॐ गुरुतत्त्वाय नमः, ही आत्म तत्त्वाय स्वाहा, ह्रीं विघातत्त्वाय स्वाहा, ही पार्श्वतत्त्वाय स्वाहा, ॐ मुक्तितत्त्वाय स्वाहा।। • फिर निम्न मंत्र बोलते समय स्नात्रकार सर्वांग का स्पर्श करें___ॐ ह्रीं नमो अरिहंताणं, हाँ शीर्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रीं नमो सिद्धाणं, ह्रीं वदनं रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रीं नमो आयरियाणं, हुँ हृदयं रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ हीं नमो उवज्झायाणं, हैं नाभि रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ ह्रीं नमो लोए सव्वसाहूणं, हाँ पादौ रक्ष रक्ष स्वाहा। ॐ हीं नमो ज्ञान दर्शन चारित्रेभ्यः, (त्रान्) हः सर्वाङ्ग रक्ष रक्ष स्वाहा। • फिर निम्न मंत्र बोलते हुए स्नात्रकारों का करन्यास करें
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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