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________________ 192... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन वैदिक ग्रन्थों में भी इस विषय में विशद चर्चा उपलब्ध होती है। रामायण में एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा है कि 'कांचनी मम पत्नीं च दीक्षायज्ञांश्च कर्मणि'- जब सीता वाल्मीकि के आश्रम में रहती थी उस समय राम ने अश्वमेध यज्ञ में सीता की सोने की प्रतिमा बनवाकर स्थापित की।23 महाभारत में भीम की लोह प्रतिमा का उल्लेख मिलता है।24 श्रीमद् भागवत में कहा गया है कि मिट्टी और शिला की बनी हुई प्रतिमाओं के समक्ष अधिक दिन उपासना करने पर मनुष्यों को प्रसन्न करती हैं।25 इसमें मिट्टी, काष्ठ, पत्थर, धातु, चन्दन, बालुका, मनोमयी और मणि- ऐसे आठ प्रकार की प्रतिमाओं का भी उल्लेख है।28। विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार स्वर्ण, रजत, ताम्र आदि की प्रतिमाएँ लोक में दिखानी चाहिए।27 शुक्रनीति में सैकती, पैष्टी, लेख्या,लेप्या, मृण्मयी, वार्की, पाषाणमयी तथा धातु की बनी हुई प्रतिमाओं का उल्लेख है।28 इस प्रकार जैन एवं हिन्दू परम्परावर्ती ग्रन्थों में प्रतिमा की प्राचीनता को सुसिद्ध करने वाले कई सन्दर्भ उपलब्ध होते हैं। इससे यह भी सस्पष्ट हो जाता है कि दीर्घ काल से प्रतिमाओं के विविध प्रकार भी प्रचलित रहे हैं। प्रतिमाएँ किन आसनों में हों? सामान्य रूप से बैठक की मुद्रा आसन कहलाती है। प्रतिमा विधान में अनेक आसनों (84 तक) के उल्लेख हैं। प्रतिमाएँ प्रायः आठ प्रकार के आसनों में देखी जाती है। उनका सचित्र वर्णन इस प्रकार है1. कायोत्सर्ग प्रतिमा- जिन प्रतिमाओं में सिर से पाँव तक एक समान खड़ी हुई मुद्रा होती है, वह कायोत्सर्ग प्रतिमा कहलाती है। 2. पद्मासन प्रतिमा- जिन प्रतिमाओं में पालथी लगाकर दोनों हाथ गोद में रखे जाते हैं उसे पद्मासन कहते हैं। 3. बद्धपद्मासन प्रतिमा- जिन प्रतिमाओं में दायें पंजे को बायीं साथली के ऊपर और बायें पंजे को दायीं साथली के ऊपर रखकर (इसमें दोनों पंजे खुले दिखाई देते हैं) बायें हाथ के ऊपर दायां हाथ गोद में रखा हो, उसे बद्ध पद्मासन कहते हैं। जैन तीर्थंकरों एवं बुद्ध की प्रतिमाएँ प्राय: इसी आसन में होती है। 4. अर्थ पर्यंकासन प्रतिमा- जिस प्रतिमा में एक पैर मोड़कर और दूसरे को
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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