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________________ जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि ...113 सीढ़ियों के लिये आवश्यक निर्देश 1. सीढ़ियों के नीचे कोई भी महत्त्वपूर्ण कार्य न करें। 2. किसी भगवान की अथवा यक्ष-यक्षिणी की वेदी न बनायें। 3. शास्त्र भंडार या आलमारी न रखें। 4. सीढ़ियों के ऊपर छत या छपरी अवश्य बनायें, जिसका उतार उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना आवश्यक है। 5. सीढ़ियों के नीचे शास्त्र पठन, जाप, स्वाध्याय, पूजन आदि कभी भी न 6. सीढ़ियों का निर्माण इस प्रकार न करें कि उससे सम्पूर्ण मन्दिर की प्रदक्षिणा हो अन्यथा समाज में अशांति एवं आपत्तियाँ आने की सम्भावना रहती है। 7. सीढ़ियाँ बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि ऊपरी मंजिल पर जाने हेतु तथा तलघर में जाने के लिए एक ही स्थान से सीढ़ी न बनायें। 8. सीढ़ियाँ जर्जर हों, हिल रही हों अथवा जोड़ तोड़कर बनायी गई हों तो अशुभ है तथा इससे समाज में मानसिक संताप का वातावरण बनता है। 9. सीढ़ियाँ प्रदक्षिणा क्रम से अर्थात घड़ी की सुई की भाँति (क्लाक वाइज) बनायें। 10. सीढ़ियों का निर्माण गज चित्रों से अलंकृत होना चाहिए। 11. शिल्प रत्नाकर के अनुसार सीढ़ियाँ विषम संख्या में बनानी चाहिए, सम संख्या में नहीं बनायें।44 मन्दिर का परकोटा जिनालय की रक्षा के लिए उसके चारों ओर परकोटा अथवा कम्पाउन्ड बनाना चाहिए। इससे धर्म संघ की रक्षा होती है। वास्तु नियम के अनुसार परकोटा आयताकार अथवा वर्गाकार बनायें। परकोटा बनाते समय यह स्मरण रखें कि उसका आकार भी आयताकार अथवा वर्गाकार हो। परकोटे की दीवार मुख्य मन्दिर की दीवार से सटाकर न बनायें। परकोटे एवं मन्दिर के मध्य पर्याप्त अन्तर होना चाहिए। परकोटे के
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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